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पी एम केयर्स फण्ड की जानकारी देने से प्रधानमंत्री कार्यालय का इंकार, कहा ये फण्ड कोई लोक प्राधिकारी (Public Authority) नहीं

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आर टी आई अधिनियम, 2005 के तहत, पी एम केयर्स फण्ड की जानकारी के लिए डाली गयी एक आर टी आई का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री कार्यालय ने पी एम केयर्स फण्ड के संचालन और सृष्टि की जानकारी देने से ये कहते हुए मना कर दिया की ये फण्ड कोई लोक प्राधिकारी (Public Authority) नहीं है।

प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत कोष (पी एम केयर्स फण्ड) का निर्माण आम लोगों से चंदा इक्कट्ठा करने के लिए किया गया था ताकि देश में चल रहे कोरोना महामारी और ऐसे किसी और विपदा से उत्तपन हुए संकट से लड़ा जा सके।

28 मार्च को प्रधानमंत्री द्वारा ट्विटर पर पी एम केयर्स फण्ड के ऐलान के बाद, श्री हर्षा कन्दुकुरी ने 1 अप्रैल को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आर टी आई दाखिल किया था जिसमे उन्होंने पी एम केयर्स फण्ड से जुड़े हर कागजात जिसमे इसके निर्माण के लिए जारी सरकारी आदेश, इससे जुड़े नोटिफिकेशन्स और सर्कुलर का विवरण शामिल था, की मांग राखी थी।

हर्षा कन्दुकुरी, जो अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलुरु के लॉ छात्र है ने कहा, “जब हमारे पास पहले से ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रहत कोष उपलब्ध है तो मुझे एक और ट्रस्ट का बनना अजीब लगा। मैं इस ट्रस्ट के निर्माण और इसके उद्देश्य को जानने के लिए उत्सुक था। मुझे इस ट्रस्ट के निर्माण का विलेख जानना था इसीलिए मेरे द्वारा प्रधामंत्री कार्यालय में आर टी आई डाला गया।”

कुन्दकुरी ने बताया की पहले 30 दिन कोई जवाब नहीं आया लेकिन उसके बाद 29 मई को प्रधामंत्री कार्यालय के जानकारी विभाग के अधिकारी का मेरे पास जवाब आया जिसमे लिखा था, “आर टी आई अधिनियम, 2005 के भाग 2(h) के परिधि के अंतर्गत पी एम केयर्स फण्ड कोई लोक प्राधिकारी (Public Authority) नहीं है इसीलिए इससे जुड़े दस्तावेजों की जानकारी नहीं दी जा सकती। हालांकि पी एम केयर्स फण्ड से जुड़ी जानकारी इसके वेबसाइट pmcares.gov.in पर उपलब्ध है।”

इस अधिनियम के तहत, लोक प्राधिकारी (Public Authority) अधिनियम का व्याख्यान इस प्रकार है, (क) संविधान द्वारा या उसके अधीन ; (ख) संसद द्वारा बनाई गयी किसी अन्य विधि द्वारा ; (ग) राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई गयी किसी अन्य विधि द्वारा ; (घ) समुचित सरकार द्वारा ज़ारी की गयी अधिसूचना या किये गए आदेश द्वारा, स्थापित या गठित कोई प्राधिकारी या निकाय या स्वायत्त सरकारी संस्था अभिप्रेत है , और इसके अंतर्गत – (i) कोई ऐसा निकाय है जो समुचित सरकार के स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रतयक्ष रूप से उपलब्ध कराई गयी निधियों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोषित है ; (ii) कोई ऐसा गैर सरकारी संगठन है जो समुचित सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गयी निधियों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोषित है।

हर्षा कुन्दकुरी अब, आगे और भी अपील करने की बात कर रहे है। उन्होंने कहा, “इस ट्रस्ट का नाम, इसके निर्माण का कारण, इसका नियंत्रण, इसका उपयोग, सरकारी नाम ये सब दर्शाते है की ये एक लोक प्राधिकारी (Public Authority) है। इस ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री खुद है और इस ट्रस्ट के तीन पदेन ट्रस्टी केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंत्री है। ये सब इसे लोक प्राधिकारी (Public Authority) साबित करने के लिए काफी है।”

इससे पहले अप्रैल में सामजिक कार्यकर्ता विक्रांत तोगड़ द्वारा दाखिल आर टी आई को प्रधामंत्री कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन को मद्देनज़र रखते हुए ,जिसमे कहा गया था की आर टी आई अधिनियम, 2005 के तहत विविध जानकारियों की अव्यवहारिक और अविवेकी मांग को पूरा करना अनुत्पादक हो सकता है, खारिज कर दिया था।

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