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मुक्केबाज विकास को पिछले अनुभव और दमदार तैयारी से ओलंपिक पदक का भरोसा

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मुक्केबाज विकास को पिछले अनुभव और दमदार तैयारी से ओलंपिक पदक का भरोसा

दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) युवा ओलंपिक (2010) में कांस्य पदक जीतने वाले मुक्केबाज विकास कृष्ण यादव (69 किग्रा) इस सफलता को लंदन और रियो ओलंपिक में दोहराने में नाकाम रहे लेकिन अपने पिछले अनुभवों और शानदार तैयारी के कारण उन्हें तोक्यो में देश को पदक दिलाने की उम्मीद है।

ओलंपिक का टिकट हासिल करने वाले नौ भारतीय मुक्केबाजों (पांच पुरुष और चार महिलाएं) के साथ इटली में अभ्यास कर रहे विकास ने ‘भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा कि इन खेलों के लिए उनकी तैयारी लगभग पूरी हो गयी है और वह अब तकनीकी पहलुओं को और मजबूत करने पर काम कर रहे है।

ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह के बाद तीन बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई होने वाले दूसरे भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने विकास ने कहा, ‘‘ सीनियर ओलंपिक में मैं तीसरी बार जा रहा हूं। मैंने युवा ओलंपिक (2010) में भी भाग लिया है और कांस्य पदक जीता है। मुझे अपने पिछले अनुभवों से तोक्यो में काफी फायदा होगा। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अपने शुरुआती ओलंपिक (लंदन, 2012) में दूसरे दौर में बाहर हो गया था लेकिन इसके बाद रियो (2016) में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचा था, वहां भी बेहद मामूली अंतर से मैं सेमीफाइनल में पहुंचने से चूक गया था। पिछले दोनों ओलंपिक में मुझे जो सीख मिली है उसका फायदा इस ओलंपिक में जरूर मिलेगा।’’

हरियाणा के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘अभी इटली में हमें अलग- अलग ‘स्पैरिंग पार्टनर (अभ्यास के लिए मुक्केबाज)’ मिल रहे है, जिससे हम प्रतियोगिता से पहले तकनीकी पहलुओं पर ध्यान देकर कमियों को दूर कर सकें।’’

ओलंपिक की तैयारियों के लिए विकास ने पिछले साल अपने अमेरिकी कोच रोनाल्ड सिम्स की देख रेख में अभ्यास किया है ।

राष्ट्रमंडल और फिर एशियाई खेल 2018 में स्वर्ण पदक जीतने वाले इस मुक्केबाज कहा, ‘‘ अभी तक मैंने जिन कोचों के साथ काम किया है, उसमें रोनाल्ड सिम्स मेरी नजर में दुनिया के सबसे बेहतरीन कोच है। उनकी परखने और समझाने की शैली शानदार है। उन से प्रशिक्षण के बाद मेरे खेल में काफी सुधार आया है। मुझे खुद में सकारात्मक फर्क महसूस हो रहा है।’’

विकास को इस अभ्यास के लिए टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम) योजना के तहत राशि मंजूर हुई थी। उन्होंने टॉप्स योजना की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘ इससे हमें विदेशों में अभ्यास करने से लेकर अपने कोच और फिजियो चुनने की आजादी मिली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले कुछ वर्षों में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन के सुधार का श्रेय टॉप्स को जाता है।’’

भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा के बारे में पूछने पर विकास ने कहा, ‘‘ मैं अपने तकनीकी पक्ष के मामले में उन से पूरी तरह सहमत नहीं होता हूं लेकिन चीजों को परखने की उनकी क्षमता कमाल की है। उनके आने के बाद से 2018 राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के बाद विश्व चैम्पियनशिप एवं एशियाई चैम्पियनशिप और दूसरे खेलों में हमारे मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया है।’’

विकास ने कहा कि ओलंपिक सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने पेशेवर मुक्केबाजी में भी हाथ आजमाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पेशेवर मुक्केबाजी आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। एमेच्योर के मुकाबले पेशेवर मुक्केबाज काफी मजबूत होते है। पेशेवर मुक्केबाजी का अनुभव होने के बाद एमेच्योर मुकाबले के दौरान शरीर पर लगने वाली चोट की सहन शक्ति बढ़ जाती है।’’

हाल ही में एशियाई चैम्पियनशिप में चोटिल होने के बाद सेमीफाइनल मुकाबले से बीच में हटने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ ओलंपिक के कारण चोट को लेकर ज्यादा जोखिम लेना सही नहीं था। क्वार्टर फाइनल में ईरान के मुक्केबाज (मुस्लिम मालामिर) के खिलाफ मुझे बायी आंख के पास चोट लग गयी थी। इसके बाद भी मैने उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज (बुटोरोव बोबो उसमोन) के खिलाफ रिंग में उतरने का फैसला किया। सेमीफाइनल में पहले राउंड के चोट के बढ़ने के बाद चिकित्सकों ने मुझे मैच से हटने की सलाह दी।’’

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