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संसद ने अधिकरण सुधार विधेयक को मंजूरी दी

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संसद ने सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘अधिकरण सुधार विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी जिसमें चलचित्र कानून, सीमा शुल्क कानून, व्यापार चिन्ह कानून सहित कई कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।

राज्यसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। इससे पहले सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्ष के प्रस्ताव को मतविभाजन के बाद खारिज कर दिया। सदन ने 44 के मुकाबले 79 मतों से विपक्ष के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है।

यह विधेयक कानून बनने के बाद संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा जो चार अप्रैल 2021 को जारी किया गया था। सदन ने अध्यादेश को नामंजूर करने के प्रस्ताव को भी ध्वनिमत से खारिज कर दिया।

पेगासस जासूसी, कृषि कानून, महंगाई सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा हुयी। हालांकि मत विभाजन के समय सदन में शांति थी और सभी सदस्य अपने स्थानों पर थे।

इस विधेयक में चलचित्र अधिनियम 1952, सीमा शुल्क अधिनियम 1962, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम 1994, व्यापार चिन्ह अधिनियम 1999, पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 सहित कुछ अन्य अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।

चर्चा में भाग लेते हुए ज्यादातर सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया। सदस्यों ने अधिकरणों में खाली पदों को जल्दी भरने, न्यायपालिका के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि करने और अदालतों को बुनियादी ढांचे मुहैया कराने की जरूरत पर बल दिया।

चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और कहा कि देश में आपातकाल लागू करने वाली पार्टी न्यायिक स्वतंत्रता की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार न सिर्फ न्यायिक स्वतंत्रता का सम्मान करती है बल्कि उसके लिए प्रतिबद्ध भी है। इससे पहले कांग्रेस सदस्यों ने न्यायिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया था।

सदन में हंगामा कर रहे सदस्यों पर भी निशाना साधते हुए निर्मला ने कहा कि आम लोगों के लिए कानून बनाने का काम भी महत्वपूर्ण है और इस विधेयक के प्रावधानों से उन्हें राहत मिल सकेगी। वित्त मंत्री ने उन दलीलों को खारिज कर दिया कि इस विधेयक से उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होता है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इसे संवैधानिकता के आधार पर खारिज नहीं किया है बल्कि कुछ बिंदुओं को लेकर सवाल किया था।

उन्होंने कहा कि अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामले हैं और सदस्य यहां कानून बनाने के लिए हैं।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने कई निर्णयों में अधिकरणों से उच्चतम न्यायालय में सीधे अपील दायर करने का विरोध किया है। अत: अधिकरणों का और सरलीकरण आवश्यक समझा गया क्योंकि इससे राजकोष में पर्याप्त खर्च की बचत होगी और त्वरित रूप से न्याय प्रदान किया जा सकेगा।

इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ‘अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) विधेयक, 2021’ को 13 फरवरी 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन यह बजट सत्र में पारित नहीं हो सका। चूंकि इस बारे में विधान की त्वरित जरूरत थी, ऐसे में राष्ट्रपति ने चार अप्रैल 2021 को अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) अध्यादेश, 2021 लागू किया था।

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