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बिहार में जमीन सर्वे पर कन्फ्यूजन क्यों? तीन महीने टला है या नहीं, जानिए सच्चाई

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बिहार में जमीन सर्वे पर कन्फ्यूजन क्यों? तीन महीने टला है या नहीं, जानिए सच्चाई

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जमीन सर्वे में उन लोगों को तीन महीने का समय देने का फैसला किया है, जिन्हें कागज बनवाने और ढूंढ़ने में परेशानी हो रही थी, ऐसे लोगों को ही कागज तैयार करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।

Bihar Land Survey: बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जमीन सर्वे के मामले में एक बड़ा फैसला लिया है। जमीन पर जनता के बीच नाराजगी और दस्तावेज जुटाने में आ रही मुश्किलों की वजह से सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को पब्लिक के कोपभाजन का शिकार होना पड़ रहा था। इसके साथ ही बिहार सरकार के पास कैथी भाषा पढ़ने और लिखने वाले जानकारों की भी कमी थी। साफ था कि जमीन सर्वे का काम बिहार सरकार ने भले शुरू कर दिया था, लेकिन सरकार की कोई तैयारी नहीं थी। अब बिहार सरकार ने उन लोगों को तीन महीने का समय देने का फैसला किया है, जिन्हें कागज बनवाने में दिक्कत आ रही थी। बाकी जमीन सर्वे का काम यथावत चलता रहेगा।

बिहार सरकार में भूमि सुधार और राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने शनिवार को पूर्णिया में कहा था कि जमीन के कागजात बनवाने के लिए लोगों को कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, रैयतों को भारी परेशानी हो रही है। उनकी इस परेशानी के चलते ही तीन महीने की मोहलत दी गई है। जमीन सर्वे का काम चलता रहेगा। कुछ लोगों को दिक्कत आ रही थी, उनके पास कागजात नहीं थे, हमने वैसे रैयतों के लिए तीन महीने का समय दिया है। ताकि सभी लोग कागजात उपलब्ध करा लें।

नीतीश कुमार ने तय की थी डेडलाइन

बता दें कि बीते दिनों नीतीश कुमार ने जमीन सर्वे के काम को पूरा करने के लिए जुलाई 2025 की डेलाइन तय की थी। अब लोगों को तीन महीने का अतिरिक्त समय देने से सर्वे का काम आगे बढ़ सकता है। मंत्री जायसवाल ने कहा कि सर्वे चलता रहेगा, 12 से 15 प्रतिशत लोगों को कागजात जुटाने में मुश्किल आ रही थी, लेकिन इतनी आबादी को भी दिक्कत न हों, इसके लिए सरकार ने उन्हें तीन महीने का वक्त देने का फैसला किया है।

जारी रहेगा जमीन सर्वे का काम

20 अगस्त से बिहार में जमीन सर्वे का काम चल रहा था, लेकिन तीन महीने के लिए लोगों को समय देने से किसानों को दस्तावेज जुटाने के लिए समय मिल जाएगा। साथ ही वे कागज खोज भी सकेंगे। बिहार सरकार के इस फैसले से आम जनता ने राहत की सांस ली है।

सरकार की तैयारी में कमी

जमीन सर्वे में आई चुनौतियों को देखें तो साफ था कि बिहार में कैथी भाषा के पर्याप्त जानकार नहीं थे। दस्तावेजों को पढ़ने में अधिकारियों को बहुत मुश्किलें आ रही थीं। हालांकि सरकार ने ट्रेनिंग कार्यक्रम तो शुरू कर दिया, लेकिन कैथी लिपी में इतनी जल्दी विशेषज्ञता हासिल करना संभव नहीं है। ऐसे में अब यूपी से कैथी भाषा के जानकारों को बुलाने की तैयारी है। बिहार और पूर्वी यूपी में जमीन के दस्तावेज कैथी भाषा में ही हैं, अगले कुछ दिनों में यूपी से कैथी लिपी के विशेषज्ञ जमीन के दस्तावेज पढ़ने बिहार बुलाए जाएंगे।

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