
गया (बिहार):
दिल्ली के द्वारिका सेक्टर-23 में हुए सड़क हादसे ने बिहार के गया जिले के चपरी गांव को गहरे सदमे में डाल दिया। बुधवार को हुए इस हादसे में चार मजदूरों की मौत हो गई थी, जिनमें एक पुरुष और तीन बच्चे शामिल थे। शुक्रवार को जब शव गांव लाए गए, तो पूरा गांव चीत्कार से गूंज उठा।
500 रुपये की दिहाड़ी, जिंदगी की भारी कीमत
ग्रामीणों के अनुसार, चपरी गांव से करीब 30-35 लोग 500 रुपये रोजाना की मजदूरी पर दिल्ली पहुंचे थे। हादसा उस वक्त हुआ जब सभी एक पिकअप वाहन में सवार होकर काम पर जा रहे थे और वाहन का टायर फट गया, जिससे वह पलट गया।
मृतकों में बच्चे भी शामिल
मारे गए लोगों में शामिल हैं:
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रंजीत कुमार (26 वर्ष)
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लक्ष्मीनिया कुमारी (3 वर्ष) – पिता: रंजीत भारती
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शीशम कुमारी (7 वर्ष) – पिता: राजेश भारती
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गौरव कुमार (7 वर्ष) – पिता: संजय मांझी
मासूम बच्चों की लाशें देख गांव की आंखें नम हो गईं। रंजीत की पत्नी ने रोते हुए कहा:
“अगर गांव में ही रोजगार मिलता तो दिल्ली क्यों जाते? मेरे पति और बच्ची की मौत हो गई…”
घायलों का इलाज, मेडिकल टीम गांव में तैनात
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पहल पर दिल्ली से 20 से अधिक घायलों को निजी वाहनों से गांव लाया गया। गांव में मेडिकल टीम तैनात की गई है जो घायलों का इलाज कर रही है। अब भी 4 लोग दिल्ली में गंभीर स्थिति में भर्ती हैं।
ग्रामीणों का आक्रोश, मुआवजे की मांग
घटना के बाद ग्रामीणों ने सरकार से मुआवजा और स्थायी रोजगार की मांग की। हम पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष रामप्रीत कुमार सिंह ने कहा:
“अगर बिहार में ही काम होता तो दिल्ली जाकर जान क्यों गंवाते?”
2-2 लाख का मुआवजा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए सीएम राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये अनुदान देने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार रोजगार की व्यवस्था पर गंभीरता से विचार कर रही है।
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि बिहार में व्याप्त बेरोजगारी और पलायन की त्रासदी का गवाह है। जब तक गांवों में रोज़गार के साधन नहीं मिलते, तब तक ऐसी घटनाएं दर्द देती रहेंगी।