
आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं उकेरी हैं — और इस बार उन्होंने सीधे अपने भाई तेजस्वी यादव को संबोधित कर खुद को कृष्ण और भाई को अर्जुन बताया।
हाल ही में अनुष्का यादव के साथ वायरल हुई तस्वीरों के बाद से तेज प्रताप न केवल सुर्खियों में हैं, बल्कि पार्टी और परिवार से अलग-थलग भी नजर आ रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में उनका इमोशनल पोस्ट अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
‘कृष्ण-अर्जुन’ की तस्वीर से संदेश
रविवार को तेज प्रताप यादव ने X (पूर्व ट्विटर) पर महाभारत की एक प्रसिद्ध तस्वीर साझा की — जिसमें श्रीकृष्ण अर्जुन के रथ पर हैं।
इस पोस्ट के साथ उन्होंने लिखा:
“मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम कभी सफल नहीं हो सकोगे। श्रीकृष्ण की सेना तो तुम ले सकते हो, लेकिन खुद श्रीकृष्ण को नहीं। हर साजिश को जल्द बेनकाब करूंगा।”
यह पोस्ट न केवल उनके तेजस्वी यादव के प्रति लगाव को दर्शाता है, बल्कि पार्टी के अंदर चल रही सियासी उठापटक और अलग-थलग करने की कोशिशों पर भी करारा तंज है।
मम्मी-पापा को लेकर भावुक पोस्ट
इसी दिन सुबह तेज प्रताप ने एक और पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने मां राबड़ी देवी और पिता लालू यादव को समर्पित शब्द लिखे:
तेज प्रताप ने तेजस्वी को दिया आशीर्वाद
उन्होंने तेजस्वी यादव को आशीर्वाद देते हुए कहा कि बस मेरे भाई भरोसा रखना। मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं, फिलहाल दूर हूं, लेकिन मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ था और रहेगा। मेरे भाई मम्मी पापा का ख्याल रखना, जयचंद हर जगह है अंदर भी और बाहर भी।
“मेरे प्यारे मम्मी-पापा! मेरी सारी दुनिया आप दोनों में ही समाई है। भगवान से बढ़कर हैं आप। बस आपका प्यार और विश्वास चाहिए। पापा, आप नहीं होते तो ना पार्टी होती और ना राजनीति करने वाले वो जयचंद जैसे लोग।”
यह शब्द न केवल तेज प्रताप की पारिवारिक पीड़ा दिखाते हैं, बल्कि इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि वह अभी भी अपने पिता और परिवार से जुड़ाव बनाए रखना चाहते हैं।
पारिवारिक तस्वीर से शुरू हुआ विवाद
बीते कुछ दिनों से तेज प्रताप यादव अनुष्का यादव के साथ एक निजी तस्वीर को लेकर विवादों में हैं। कहा जा रहा है कि इसी के चलते लालू यादव ने उन्हें पार्टी और परिवार से दूरी बनाने का निर्देश दिया।
निष्कर्ष:
तेज प्रताप यादव का यह भावनात्मक पोस्ट बताता है कि पार्टी के अंदर गहरे मतभेद हैं, लेकिन उनका पारिवारिक लगाव और राजनीतिक आत्मविश्वास अब भी कायम है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या तेजस्वी यादव इस ‘अर्जुन’ संदेश का जवाब देंगे, या यह एकतरफा ‘कृष्ण’ की पुकार बनकर रह जाएगा।