गंगा और कोसी में उफान, कुरसेला के दर्जनभर से अधिक गांवों में घुसा बाढ़ का पानी, जनजीवन अस्त-व्यस्त
प्रकाशन तिथि: 08 अगस्त 2025
स्थान: कुरसेला, कटिहार (बिहार)
समाचार विवरण:
कुरसेला प्रखंड में गंगा और कोसी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है। दर्जनभर से अधिक गांव बाढ़ के पानी से पूरी तरह घिर चुके हैं, जिससे हजारों लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। उफनाई नदियां तबाही मचाने को आतुर हैं और ग्रामीण अपनी जान-माल की सुरक्षा को लेकर दहशत में हैं।
बाढ़ प्रभावित परिवार रेलवे माल गोदाम, पत्थल बांध, समपार रेल ढाला और ऊंचे तटबंधों पर शरण लेने को मजबूर हैं। कई गांवों के संपर्क मार्ग बाढ़ में डूब गए हैं, जिससे नाव ही आवागमन का एकमात्र सहारा बन गई है।
प्रभावित गांवों की सूची:
शेरमारी, चांयटोला, पत्थल टोला, कटरिया, खेरिया, तीनघरिया, बालू टोला, गांधी घर बिंद टोली, बसुहार मजदिया, कमलाकान्ही, देवीपुर, गुमटी टोला, मधेली, मोकना टोला, कुरसेला बस्ती, रामपुर ग्वालटोली, बाघमारा, पंचखुटी, बल्थी महेशपुर सहित कई गांव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
पंचायतवार स्थिति:
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जरलाही पंचायत: मलेनियां मिर्जापुर, गुमटी टोला
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पूर्वी मुरादपुर पंचायत: बसुहार मजदिया
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उत्तरी मुरादपुर पंचायत: बल्थी महेशपुर
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दक्षिणी मुरादपुर पंचायत: खेरिया, तीनघरिया
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नगर पंचायत: कुरसेला बस्ती, रामपुर ग्वालटोली
सरकारी स्तर पर कुछ राहत कार्य किए जा रहे हैं और नाव की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। लेकिन बाढ़ और बारिश की दोहरी मार ने लोगों को बेहद कठिन परिस्थिति में डाल दिया है। ऊंची जगहों पर तंबू लगाकर रह रहे लोगों को भोजन, पानी और शौच जैसी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। घरों में पानी घुस जाने से दो वक्त का भोजन बनाना भी मुश्किल हो गया है और कई परिवार सूखा भोजन खाकर गुजारा कर रहे हैं।
नदियों का जलस्तर:
कोसी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है और उच्च बाढ़ स्तर के करीब है। गंगा नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है। घुरना–बल्थी महेशपुर सड़क-सह-बांध और मधेली के 12 नंबर ठोकर पर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जलस्तर वृद्धि का यही क्रम जारी रहा, तो अगले दो दिनों में प्रखंड क्षेत्र की अधिकांश आबादी पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ जाएगी।
बाढ़ का यह प्रकोप न केवल मानव जीवन बल्कि पशुओं के लिए भी भारी संकट बन चुका है।