पितृपक्ष मेले में आठवें दिन 16 वेदियों पर पिंडदान का विधान, अब तक 18 लाख से अधिक पिंडदानी पहुंचे ‘मोक्ष नगरी’
गया (बिहार): विश्व प्रसिद्ध गया पितृपक्ष मेला 2025 में आठवें दिन शनिवार को श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर के समीप स्थित 16 वेदियों पर पिंडदान किया। धार्मिक मान्यता है कि इन वेदियों पर पिंडदान कर भगवान विष्णु के चरण चिन्ह का दर्शन करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें स्वर्ग लोक मिलता है।
16 वेदियों पर पिंडदान का महत्व
आश्विन कृष्ण सप्तमी को 16 वेदियों पर पिंडदान का विशेष विधान बताया गया है। इन वेदियों को सोलह वेदी मंडप कहा जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, इन वेदियों पर विधि-विधान से किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष प्रदान करता है।
विष्णुपद की 16 वेदियां हैं:
कार्तिक पद, दक्षिणाग्नि पद, गार्हपत्यानी पद, आवहनोमग्निपद, संध्याग्नि पद, आवसंध्याग्निपथ, सूर्य पद, चंद्र पद, गणेश पद, उधीची पद, कण्व पद, मातंग पद, कौच पद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद।
गयापाल पंडा ने बताया महत्व
गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार ने कहा:
“16 वेदियों पर पिंडदान करने के बाद विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण दर्शन आवश्यक हैं। यहां भगवान विष्णु पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं और यहां किए गए कर्मकांड से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।”
तीर्थयात्रियों की भारी भीड़
गया जिला प्रशासन के अनुसार, अब तक 18 लाख 91 हजार तीर्थयात्री गया जी पहुंच चुके हैं।
केवल शनिवार को ही 3.58 लाख पिंडदानी आए। प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु इस महापर्व का हिस्सा बन रहे हैं।
29 सितंबर तक चलेगा पितृपक्ष मेला
गया जी में पितृपक्ष मेला 21 सितंबर से 29 सितंबर 2025 तक आयोजित हो रहा है।
यह आयोजन भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलता है।
मान्यता है कि इन 15 दिनों में किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को मोक्ष और परिवार को पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
👉 धार्मिक आयोजन और बिहार समाचार अपडेट्स के लिए विज़िट करें: Seemanchal Live



