बिहार में कांग्रेस भवन नीलामी विवाद
बिहार के मुजफ्फरपुर नगर निगम ने कांग्रेस भवन की चल-अचल संपत्ति की नीलामी का नोटिस जारी कर दिया है।
कारण है—7 लाख 42 हजार 573 रुपये का बकाया होल्डिंग टैक्स।
मामला कैसे शुरू हुआ
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नगर निगम ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि 30 सितंबर तक बकाया राशि जमा करनी होगी।
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अगर तय समय पर भुगतान नहीं हुआ तो बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 158 के तहत संपत्ति की कुर्की और बिक्री की जाएगी।
कुल बकाया टैक्स की गणना
निगम ने दो अलग-अलग होल्डिंग पर टैक्स का विवरण दिया है:
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होल्डिंग संख्या 282/180 (जिला कांग्रेस कमेटी)
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2022-23 से 2024-25 तक बकाया: 1,91,763 रुपये
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चालू वर्ष का बकाया: 71,911 रुपये
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कुल मांग: 4,12,394 रुपये
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होल्डिंग संख्या 272/179 (मंत्री जिला कांग्रेस कमेटी)
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बकाया: 1,73,404 रुपये
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चालू वर्ष का बकाया: 56,147 रुपये
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कुल मांग: 3,30,179 रुपये
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👉 दोनों मिलाकर कुल बकाया = 7,42,573 रुपये
निगम की चेतावनी और कानून
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि:
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समय पर भुगतान न होने पर ब्याज और जुर्माना लगाया जाएगा।
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यहाँ तक कि बॉडी वारंट तक जारी किया जा सकता है।
कांग्रेस की सफाई
जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद कुमार मुकुल ने कहा:
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टैक्स भुगतान के लिए डिमांड ड्राफ्ट तैयार हो चुका है।
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पार्टी कार्यों की व्यस्तता के कारण राशि जमा नहीं हो सकी।
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आने वाले 1-2 दिनों में पूरा बकाया चुकता कर दिया जाएगा।
चुनावी वर्ष और राजनीतिक आरोप
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कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि यह मुद्दा चुनावी साल में विरोधियों द्वारा उछाला गया है।
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उन्होंने कहा कि जब वे पहली बार अध्यक्ष बने थे तब भी लाखों रुपये का टैक्स बकाया था, जिसे उन्होंने चुकाया था।
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उनका दावा है कि कांग्रेस का जनाधार बढ़ने से विरोधी घबराए हुए हैं।
क्या हो सकती है अगली कार्रवाई?
अगर समय पर राशि नहीं चुकाई गई तो:
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निगम ब्याज और जुर्माना लगा सकता है।
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संपत्ति की कुर्की और बिक्री संभव है।
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गंभीर स्थिति में बॉडी वारंट भी जारी हो सकता है।
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
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सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर बहस कर रहे हैं।
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विपक्षी दल इसे कांग्रेस की लापरवाही और प्रबंधन की कमी बता रहे हैं।
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वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक साजिश कह रही है।
निष्कर्ष
मुजफ्फरपुर में कांग्रेस भवन पर टैक्स बकाया का मामला सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है।
एक ओर नगर निगम ने स्पष्ट चेतावनी दी है, तो दूसरी ओर कांग्रेस इसे विरोधियों की साजिश बता रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस समय रहते बकाया चुका पाती है या फिर भवन की नीलामी की नौबत आती है।



