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29 सितंबर : भारत ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर आतंकवादियों को सिखाया सबक

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भारत के इतिहास में 29 सितंबर 2016 का दिन हमेशा सुनहरे अक्षरों में दर्ज रहेगा। यह वह दिन था जब भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुसकर आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया। इस अभियान को “सर्जिकल स्ट्राइक” नाम दिया गया और यह भारत की कूटनीति, सैन्य क्षमता और अदम्य साहस का प्रतीक बना।


प्रस्तावना: 29 सितंबर का ऐतिहासिक महत्व

29 सितंबर केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है। इस दिन भारतीय सेना ने यह साबित कर दिया कि वह न केवल अपनी भूमि की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि आतंकवाद के गढ़ में घुसकर उसे नेस्तनाबूद करने की क्षमता भी रखती है।


उरी हमला : भारत की सुरक्षा पर बड़ा वार

18 सितंबर 2016 का दिन

18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 18 बहादुर जवान शहीद हो गए, जिसे भारतीय सेना पर हुए सबसे बड़े हमलों में से एक माना जाता है।

हमले के पीछे की साजिश

खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हमला सीमा पार बैठे आतंकियों द्वारा रचा गया था। आतंकवादी संगठन पाकिस्तान की जमीन से संचालित हो रहे थे, जिन्हें वहां की सुरक्षा एजेंसियों का संरक्षण प्राप्त था।

भारतीय सेना के जवानों की शहादत

इस हमले में शहीद हुए जवानों ने अपनी जान देकर मातृभूमि की रक्षा की। उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया और एक स्वर में आवाज उठी कि इस हमले का करारा जवाब दिया जाना चाहिए।

सर्जिकल स्ट्राइक का निर्णय

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक

उरी हमले के बाद भारत सरकार और सेना दोनों ही बेहद सक्रिय हो गए। तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलकर रणनीति तैयार की। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की बैठक में यह तय हुआ कि इस बार जवाब सीमित गोलाबारी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एक ऐसा कदम उठाया जाएगा जो भविष्य के लिए मिसाल बने।

प्रधानमंत्री और सेना की रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को खुली छूट दी कि वे आवश्यक कार्रवाई कर सकते हैं। सेना ने ऑपरेशन की बारीकी से योजना बनाई और खुफिया एजेंसियों की मदद से आतंकियों के ठिकानों की पहचान की गई।

खुफिया एजेंसियों की भूमिका

इस मिशन की सफलता में RAW, IB और सैन्य खुफिया विभाग की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने सीमा पार स्थित आतंकवादी लॉन्च पैड्स की लोकेशन का पता लगाया और सेना को वास्तविक समय की जानकारी उपलब्ध कराई।


29 सितंबर 2016 : ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक

सीमा पार घुसपैठ की तैयारी

27 और 28 सितंबर की रात भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज को ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया। अत्याधुनिक हथियारों, नाइट विजन डिवाइस और जीपीएस से लैस कमांडोज़ को विशेष प्रशिक्षण दिया गया।

रात के अंधेरे में मिशन

28 और 29 सितंबर की रात भारतीय कमांडोज़ ने LOC पार कर PoK के भीतर 2-3 किलोमीटर अंदर तक घुसपैठ की। मिशन बेहद गुप्त रखा गया और इसका पता केवल चुनिंदा अधिकारियों और नेताओं को ही था।

आतंकवादी ठिकानों का नाश

भारतीय सेना ने कई लॉन्च पैड्स और आतंकवादी शिविरों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 40 से अधिक आतंकवादी मारे गए और उनके कई ठिकाने जलकर राख हो गए। यह मिशन पूरी तरह सफल माना गया।


पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और इनकार

पाकिस्तान सरकार का आधिकारिक बयान

भारत के दावे के बाद पाकिस्तान ने तुरंत इस ऑपरेशन से इनकार किया। उसने कहा कि भारतीय सेना ने केवल सीमापार गोलीबारी की है। पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया विश्व स्तर पर सवालों के घेरे में रही।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

दुनिया भर में भारत की कार्रवाई पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। अमेरिका, फ्रांस और कई देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। वहीं, कुछ देशों ने संयम बरतने की सलाह दी।


भारत में जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया

जनता में उत्साह और गर्व

भारत के नागरिकों ने इस साहसिक कार्रवाई का स्वागत किया। जगह-जगह पर जश्न मनाए गए, सोशल मीडिया पर #SurgicalStrike ट्रेंड करने लगा और हर कोई भारतीय सेना पर गर्व कर रहा था।

मीडिया की भूमिका और कवरेज

मीडिया ने इस घटना को बड़े स्तर पर कवर किया। टीवी चैनलों पर लगातार चर्चाएं हुईं, अखबारों की सुर्खियों में भारतीय सेना की बहादुरी थी। यह घटना भारत की सामरिक शक्ति का प्रतीक बन गई।


सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत-पाक संबंध

सीमा पर बढ़ा तनाव

ऑपरेशन के बाद LOC पर गोलाबारी और झड़पों में वृद्धि हुई। पाकिस्तान की ओर से कई बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया।

कूटनीतिक मोर्चे पर बदलाव

भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करना शुरू किया। संयुक्त राष्ट्र से लेकर G20 तक भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया।


आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त संदेश

आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति

सर्जिकल स्ट्राइक ने यह साफ कर दिया कि भारत अब आतंकवाद को सिर्फ “बयानबाजी” से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से जवाब देगा।

पड़ोसी देशों को चेतावनी

इस घटना ने पड़ोसी देशों को भी यह संकेत दिया कि भारत अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा।


29 सितंबर : शौर्य और बलिदान का प्रतीक

यह दिन केवल सैन्य विजय का प्रतीक नहीं, बल्कि उन 18 शहीदों की याद भी दिलाता है, जिनकी शहादत ने इस ऑपरेशन को जन्म दिया। हर साल 29 सितंबर को भारत इस दिन को अपने साहस, शौर्य और बलिदान के रूप में याद करता है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: सर्जिकल स्ट्राइक कब हुई थी?
उत्तर: 29 सितंबर 2016 की रात भारतीय सेना ने यह कार्रवाई की थी।

प्रश्न 2: सर्जिकल स्ट्राइक का कारण क्या था?
उत्तर: यह स्ट्राइक उरी हमले में शहीद हुए 18 जवानों की शहादत के बाद आतंकियों को सबक सिखाने के लिए की गई थी।

प्रश्न 3: इस स्ट्राइक में कितने आतंकवादी मारे गए थे?
उत्तर: मीडिया और रिपोर्ट्स के अनुसार 40 से अधिक आतंकवादी ढेर हुए थे।

प्रश्न 4: क्या पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक स्वीकार की?
उत्तर: नहीं, पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन से हमेशा इनकार किया।

प्रश्न 5: सर्जिकल स्ट्राइक का भारत-पाक संबंधों पर क्या असर हुआ?
उत्तर: इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा और कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ने लगा।

प्रश्न 6: 29 सितंबर का दिन क्यों खास है?
उत्तर: यह दिन भारतीय सेना की वीरता और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख का प्रतीक है।


निष्कर्ष: 29 सितंबर से मिली सीख

29 सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। यह दिन हर भारतीय को गर्व से भर देता है और हमें याद दिलाता है कि जब राष्ट्र की सुरक्षा दांव पर हो, तो एकजुट होकर उसका सामना करना ही सबसे बड़ा उत्तर होता है।

👉 विस्तृत जानकारी के लिए आप PIB की आधिकारिक रिपोर्ट देख सकते हैं।

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