
भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों को तीन अरब डॉलर से अधिक का दान दिया
रिपोर्टर: (सीमांच लाइव डेस्क)
स्थान: न्यूयॉर्क
तारीख: 3 अक्टूबर
घटना का सारांश:
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने 2008 से अब तक अमेरिका के विश्वविद्यालयों को तीन अरब डॉलर से अधिक (लगभग ₹25,000 करोड़) का दान दिया है।
यह जानकारी एक हालिया अध्ययन में सामने आई है, जिसने भारतीय डायस्पोरा की शिक्षा के क्षेत्र में भूमिका को नए सिरे से रेखांकित किया है।
अध्ययन के अनुसार, भारतीय मूल के परोपकारी अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़े विदेशी योगदानकर्ताओं में से एक बन चुके हैं।
अध्ययन की प्रमुख बातें:
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रिपोर्ट में बताया गया है कि 2008 से 2023 के बीच भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने तीन अरब डॉलर ($3 Billion) से अधिक राशि अमेरिकी विश्वविद्यालयों को दान की।
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यह राशि स्कॉलरशिप, अनुसंधान, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक अध्ययन कार्यक्रमों के लिए दी गई।
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दानकर्ताओं में बड़ी संख्या में आईटी, मेडिकल, वित्त और उद्यमिता क्षेत्र से जुड़े भारतीय-अमेरिकी शामिल हैं।
संस्थान और प्रमुख योगदानकर्ता:
अध्ययन के अनुसार, भारतीय-अमेरिकी दान का बड़ा हिस्सा अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों —
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी,
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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी,
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एमआईटी (MIT),
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यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया, और
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कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले
को प्राप्त हुआ।
उल्लेखनीय दानकर्ताओं में प्रमुख भारतीय-अमेरिकी उद्योगपति और टेक्नोलॉजी लीडर्स जैसे:
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सुंदर पिचाई (Google),
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सत्या नडेला (Microsoft),
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विनोद खोसला (Khosla Ventures),
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अजय बंगा (World Bank President),
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और नीरज अरोड़ा (WhatsApp) शामिल हैं।
भारतीय डायस्पोरा की भूमिका:
भारतीय-अमेरिकी समुदाय की आबादी अमेरिका में लगभग 45 लाख है, लेकिन आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर इनकी भूमिका बहुत प्रभावशाली है।
रिपोर्ट में कहा गया कि:
“भारतीय मूल के नागरिक शिक्षा को समाज परिवर्तन का माध्यम मानते हैं। यह दान उनकी सामाजिक जिम्मेदारी और भारत की पारंपरिक ‘विद्या दान’ संस्कृति का प्रतीक है।”
दान के पीछे के उद्देश्य:
अध्ययन के अनुसार, भारतीय मूल के नागरिकों द्वारा दान देने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
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शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
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कम आय वर्ग के छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करना।
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सांस्कृतिक विविधता और एशियाई प्रतिनिधित्व को मजबूत करना।
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भारत-अमेरिका शैक्षणिक सहयोग को प्रोत्साहन देना।
सांख्यिकीय विवरण:
अवधि | दान राशि (अमेरिकी डॉलर में) | प्रमुख क्षेत्र |
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2008–2013 | $850 मिलियन | स्कॉलरशिप और कैंपस डेवलपमेंट |
2014–2018 | $1.1 बिलियन | टेक्नोलॉजी और इनोवेशन लैब्स |
2019–2023 | $1.2 बिलियन | रिसर्च, AI, और मेडिकल एजुकेशन |
भारतीय दान संस्कृति बनाम पश्चिमी मॉडल:
अमेरिकी समाज में परोपकार एक पुरानी परंपरा है, परंतु भारतीय डायस्पोरा ने उसमें संवेदनशीलता और मूल्य आधारित दृष्टिकोण जोड़ा है।
अध्ययन के लेखक प्रो. एलन डेविस ने कहा —
“भारतीय-अमेरिकी परोपकार शिक्षा, तकनीक और मानव विकास को जोड़ता है। यह केवल पैसा देना नहीं, बल्कि भविष्य बनाना है।”
विशेषज्ञों की राय:
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीयों की यह भूमिका अमेरिका-भारत संबंधों को भी मजबूत करती है।
“ये योगदान दोनों देशों के बीच शैक्षणिक पुल की तरह काम कर रहे हैं,”
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रो. नीता मेहता ने कहा।
निष्कर्ष:
भारतीय मूल के अमेरिकियों द्वारा दिया गया यह तीन अरब डॉलर का योगदान सिर्फ एक आर्थिक आंकड़ा नहीं — यह भारतीय संस्कृति की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता, सामाजिक जिम्मेदारी और वैश्विक सोच का प्रतीक है।
यह प्रवासी भारतीयों की उस परंपरा को आगे बढ़ाता है, जिसमें ज्ञान और सेवा को सर्वोच्च मूल्य माना गया है।