
कांग्रेस का भाजपा-जेडीयू पर तीखा वार
कटिहार जिला अतिथि गृह में रविवार को आयोजित विशेष प्रेस वार्ता में कांग्रेस ने भाजपा-जेडीयू गठबंधन सरकार पर तेज राजनीतिक हमला बोला।
कांग्रेस विधायक दल के नेता और विधायक डॉ. शकील अहमद खान ने कहा कि 20 वर्षों की सत्ता के बाद बिहार में न तो रोजगार बढ़ा, न पलायन रुका और न ही भ्रष्टाचार घटा।
20 साल की सत्ता पर 20 सवाल अभियान की घोषणा
प्रेस वार्ता में कांग्रेस ने “20 साल की सत्ता, 20 सवाल” नामक जन-अभियान की शुरुआत की।
इस अभियान के तहत कांग्रेस राज्य सरकार से पिछले दो दशकों की उपलब्धियों और नीतिगत निर्णयों पर जवाब मांगेगी।
पहला सवाल — पीरपैंती विद्युत परियोजना को लेकर उठाया गया है।
पीरपैंती विद्युत परियोजना पर सवाल
जुलाई 2024-25 के बजट में बिहार सरकार ने भागलपुर जिले के पीरपैंती में 2400 मेगावाट की विद्युत परियोजना की घोषणा की थी, जिसकी अनुमानित लागत ₹21,400 करोड़ है।
कांग्रेस के अनुसार, यह परियोजना नीतिगत पारदर्शिता से रहित है और सरकार ने अदानी समूह को अनुचित लाभ देने का निर्णय लिया।
2400 मेगावाट बिजली परियोजना पर विवाद
1020 एकड़ जमीन 1 रुपये वार्षिक लीज़ पर
कांग्रेस ने खुलासा किया कि 5 अगस्त 2025 को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में अदानी पावर को 1020.60 एकड़ जमीन मात्र ₹1 प्रति वर्ष की दर पर 99 वर्षों के लिए लीज़ पर देने का निर्णय लिया गया।
यह निर्णय जनहित के विरुद्ध और भूमि नीति की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
अदानी पावर को अनुचित लाभ का आरोप
कांग्रेस के अनुसार, अदानी पावर को बिहार में बिजली ₹6.075 प्रति यूनिट की दर से बेचने की अनुमति दी गई है, जबकि वही कंपनी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बंगाल में इससे कम दरों पर बिजली बेच रही है।
यह अंतर बिहार के उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ डालता है।
कांग्रेस विधायक डॉ शकील अहमद खान के आरोप
डॉ शकील अहमद खान ने कहा —
“बिहार की जमीन, बिजली और भविष्य को गिरवी रखा जा रहा है। एक पेड़ मां के नाम लगाते हैं और पूरा जंगल अदानी के नाम कर देते हैं।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के पर्यावरण संरक्षण के वादों के बावजूद, केंद्र सरकार बड़े उद्योगपतियों को जंगल और भूमि अधिग्रहण की अनुमति दे रही है, जिससे पर्यावरणीय नुकसान बढ़ रहा है।
कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुनील कुमार यादव का बयान
कटिहार कांग्रेस अध्यक्ष सुनील कुमार यादव ने कहा कि कांग्रेस अब तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर सरकार से सवाल पूछेगी।
उनके अनुसार, 20 वर्षों की डबल इंजन सरकार ने बिहार को बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और पलायन की दलदल में धकेल दिया है।
‘20 साल, 20 सवाल’ की रूपरेखा
इस अभियान के तहत कांग्रेस हर जिले में जनसभा करेगी और सरकार से निम्नलिखित विषयों पर जवाब मांगेगी:
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रोजगार सृजन
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शिक्षा की गुणवत्ता
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स्वास्थ्य सेवाएँ
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सड़क और बिजली परियोजनाएँ
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भ्रष्टाचार नियंत्रण
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पलायन और किसान नीतियाँ
विश्लेषण: सत्ता, संसाधन और जनहित की राजनीति
बिहार की राजनीति में विकास और जनहित का मुद्दा हमेशा केंद्र में रहा है।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह बहस अब कॉर्पोरेट नीति बनाम जनहित के रूप में उभर रही है।
क्या यह चुनावी नैरेटिव बदलेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह अभियान 2025 विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी नैरेटिव को मजबूत कर सकता है।
लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस इन मुद्दों को कितनी संगठित और निरंतरता के साथ जनता के बीच रख पाती है।
विकास बनाम कॉर्पोरेट सहयोग — बिहार की नई बहस
अदानी पावर को दी गई जमीन और बिजली दरों पर उठे सवाल से बिहार में कॉर्पोरेट-पॉलिटिकल गठजोड़ की नई बहस शुरू हो गई है।
इससे यह सवाल भी उभरता है कि क्या विकास की कीमत पर संसाधन निजी हाथों में जा रहे हैं?
FAQs (सामान्य प्रश्न)
प्रश्न 1: ‘20 साल, 20 सवाल’ अभियान क्या है?
उत्तर: यह कांग्रेस का राज्यव्यापी अभियान है जिसमें पिछले 20 वर्षों में भाजपा-जेडीयू सरकार से विकास और नीतियों पर जवाब मांगे जाएंगे।
प्रश्न 2: पीरपैंती बिजली परियोजना में विवाद क्या है?
उत्तर: कांग्रेस का आरोप है कि अदानी पावर को 1020 एकड़ जमीन मात्र 1 रुपये वार्षिक लीज़ पर दी गई है, जो पारदर्शिता के विरुद्ध है।
प्रश्न 3: कांग्रेस किन मुद्दों पर सवाल उठा रही है?
उत्तर: रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, भ्रष्टाचार और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दों पर।
प्रश्न 4: अदानी को लाभ का आरोप क्यों?
उत्तर: कंपनी बिहार में महंगी दरों पर बिजली बेच रही है, जबकि अन्य राज्यों में सस्ती दरों पर।
प्रश्न 5: क्या पर्यावरणीय नुकसान का भी आरोप है?
उत्तर: हाँ, कांग्रेस ने कहा कि परियोजना से जंगलों की कटाई और पर्यावरणीय क्षति होगी।
प्रश्न 6: क्या यह मामला चुनावी एजेंडा बनेगा?
उत्तर: संभव है, क्योंकि यह मुद्दा सीधे आम जनता और भूमि नीति से जुड़ा है।
निष्कर्ष
कांग्रेस ने “बिहार की जमीन, बिजली और भविष्य गिरवी” कहकर एक राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मुद्दा बिहार की राजनीति में नया मोड़ लाता है या चुनावी बयानबाज़ी बनकर रह जाता है।
फिलहाल, जनता और विपक्ष दोनों सवालों के जवाब की प्रतीक्षा में हैं।