
अररिया (बिहार): बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू होते ही सरकारी कर्मचारियों पर सख्त निगरानी शुरू हो गई है। इसी क्रम में अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के एक सरकारी स्कूल शिक्षक पर राजनीतिक प्रचार में शामिल होने का आरोप साबित होने पर शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है।
फेसबुक पोस्ट से खुला मामला
मिली जानकारी के अनुसार, मध्य विद्यालय, खाब्दह डुमरिया में कार्यरत विशिष्ट शिक्षक ओमप्रकाश यादव ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक राजनीतिक दल के नेताओं के साथ फोटो साझा की थी। साथ ही उन्होंने उस दल के समर्थन में राजनीतिक टिप्पणियां भी की थीं।
जांच में यह पाया गया कि उनकी पोस्ट आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है और सरकारी सेवक के आचरण के विरुद्ध है। इस आधार पर शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर दिया।
शिक्षक आचरण के खिलाफ मानी गई पोस्ट
शिक्षा विभाग ने साफ किया कि एक सरकारी शिक्षक का राजनीतिक दल के समर्थन में प्रचार करना न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि यह शिक्षक समुदाय की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।
विभाग के अनुसार, सरकारी सेवक का यह कर्तव्य होता है कि वह चुनावी प्रक्रिया के दौरान पूर्ण निष्पक्षता और तटस्थता बनाए रखे।
जिला शिक्षा अधिकारी (DPO) ने कहा,
“शिक्षकों से उम्मीद की जाती है कि वे समाज में आदर्श प्रस्तुत करें। राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होना सरकारी नियमों का गंभीर उल्लंघन है।”
निलंबन अवधि में मुख्यालय तय किया गया
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश के मुताबिक,
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ओमप्रकाश यादव को निलंबन अवधि के दौरान कुर्साकांटा प्रखंड संसाधन केंद्र में मुख्यालय के रूप में उपस्थित रहना होगा।
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इस अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) मिलेगा।
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साथ ही, उनके खिलाफ आरोप पत्र प्रपत्र ‘क’ जारी किया जाएगा, जिसके बाद विभागीय जांच शुरू होगी।
यह आदेश बिहार सरकारी सेवक नियमावली, 2005 के तहत पारित किया गया है।
आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन: गंभीर अपराध
आदर्श आचार संहिता लागू होते ही सभी सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने का निर्देश दिया गया था। चुनाव आयोग और शिक्षा विभाग दोनों ने चेतावनी दी थी कि कोई भी सरकारी कर्मचारी राजनीतिक दलों का समर्थन या विरोध सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकता।
ओमप्रकाश यादव का यह कदम इस नियम का स्पष्ट उल्लंघन माना गया। विभाग ने कहा कि यह कार्रवाई दूसरे कर्मचारियों के लिए चेतावनी है ताकि वे चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी राजनीतिक विवाद में न पड़ें।
विभागीय जांच शुरू, कड़ी सजा की संभावना
शिक्षा विभाग ने निलंबन के साथ ही विभागीय जांच की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि सभी साक्ष्य — जैसे फेसबुक पोस्ट, फोटो और कमेंट — को रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है।
यदि जांच में आरोप साबित होते हैं, तो शिक्षक को सेवा से बर्खास्तगी या पदावनति जैसी कड़ी सजा भी दी जा सकती है।
शिक्षा विभाग का सख्त संदेश
इस मामले में विभाग ने स्पष्ट संदेश दिया है कि
“सरकारी सेवा में रहते हुए किसी भी कर्मचारी द्वारा राजनीतिक प्रचार या सार्वजनिक समर्थन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
इस कार्रवाई ने पूरे जिले में अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों को सतर्क कर दिया है। विभाग ने निर्देश दिया है कि कोई भी कर्मचारी सोशल मीडिया का उपयोग करते समय राजनीतिक पोस्ट या टिप्पणी से बचे।
शिक्षक आचरण और नियमों की जानकारी
नियमावली | लागू वर्ष | उद्देश्य |
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बिहार सरकारी सेवक नियमावली | 2005 | सरकारी कर्मचारियों के आचरण और अनुशासन को नियंत्रित करना |
आदर्श आचार संहिता | चुनाव आयोग द्वारा जारी | चुनाव के दौरान निष्पक्षता और तटस्थता सुनिश्चित करना |
सोशल मीडिया नीति (राज्य सरकार) | 2020 | सरकारी कर्मचारियों को संवेदनशील और निष्पक्ष पोस्ट करने के लिए बाध्य करना |
जनता और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने विभाग की कार्रवाई का समर्थन किया है।
कई नागरिकों का कहना है कि चुनावी माहौल में सरकारी शिक्षकों का पक्षपाती रुख लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
वहीं, कुछ शिक्षक संगठनों ने यह भी मांग की है कि
“विभाग ऐसे मामलों में पारदर्शी जांच सुनिश्चित करे ताकि किसी निर्दोष को सजा न मिले, और दोषी को कड़ी कार्रवाई झेलनी पड़े।”
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. किस शिक्षक को निलंबित किया गया है?
अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के मध्य विद्यालय खाब्दह डुमरिया में कार्यरत शिक्षक ओमप्रकाश यादव को निलंबित किया गया है।
2. उनके खिलाफ क्या आरोप हैं?
उन्होंने सोशल मीडिया पर राजनीतिक दल के नेताओं के साथ फोटो साझा की और पक्ष में टिप्पणियां कीं।
3. कार्रवाई किस नियम के तहत हुई है?
यह कार्रवाई बिहार सरकारी सेवक नियमावली 2005 के तहत की गई है।
4. निलंबन अवधि में शिक्षक कहाँ रहेंगे?
उन्हें प्रखंड संसाधन केंद्र, कुर्साकांटा में मुख्यालय के रूप में रहना होगा।
5. क्या उन्हें वेतन मिलेगा?
नहीं, लेकिन उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) मिलेगा।
6. क्या आगे और सजा हो सकती है?
हाँ, यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो विभागीय जांच के बाद बर्खास्तगी या अन्य कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
निष्कर्ष
बिहार के अररिया जिले में हुई यह कार्रवाई स्पष्ट संकेत देती है कि सरकार आदर्श आचार संहिता के पालन को लेकर पूरी तरह सख्त है। शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर कार्यरत व्यक्ति से तटस्थता और अनुशासन की अपेक्षा की जाती है।
इस घटना से न केवल अन्य सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी मिली है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि सोशल मीडिया पर की गई एक गलती सरकारी करियर पर भारी पड़ सकती है।
🔗 संदर्भ स्रोत: बिहार शिक्षा विभाग आधिकारिक पोर्टल