गया (बिहार):
बिहार विधानसभा चुनावों के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) में बड़ा झटका लगा है।
पार्टी ने अनुशासनहीनता और पार्टी की नीतियों के खिलाफ काम करने के आरोप में 11 वरिष्ठ नेताओं को 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है।
यह फैसला हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के निर्देश पर लिया गया है।
राष्ट्रीय प्रधान महासचिव राजेश कुमार पांडे द्वारा इस संबंध में आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है।
पार्टी के 11 बड़े नेता निष्कासित
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सभी नेताओं को पार्टी की नीतियों के विरुद्ध कार्य करने में सहभागी पाया गया।
इसी कारण उन्हें सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित किया गया है।
निष्कासित नेताओं की सूची:
-
राजेश रंजन – संगठन प्रभारी
-
रितेश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा – राष्ट्रीय सचिव
-
श्रवण भुईया – राष्ट्रीय सचिव
-
नंदलाल मांझी – राष्ट्रीय सचिव सह प्रवक्ता
-
चंदन ठाकुर – प्रदेश महासचिव
-
शैलेश मिश्रा – प्रदेश प्रवक्ता
-
शिवकुमार राम – प्रदेश अध्यक्ष (सहकारिता प्रकोष्ठ)
-
राजेंद्र यादव – जिला अध्यक्ष (पूर्णिया)
-
बैजू यादव – जिला अध्यक्ष (मुजफ्फरपुर)
-
श्रीमती मंजू सरदार – वरिष्ठ नेत्री
-
बी.के. सिंह – वरिष्ठ सदस्य
राजेश कुमार पांडे का बयान
हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव राजेश कुमार पांडे ने बयान जारी करते हुए कहा —
“पार्टी की नीतियों के विरुद्ध कार्य करने में कई नेताओं को सहभागी पाया गया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर इन्हें सभी पदों से और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 वर्षों के लिए निष्कासित किया गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय अनुशासन और संगठन की एकजुटता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
अनुशासन के विपरीत कार्यों पर शून्य सहनशीलता
पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की गुटबाजी, अनुशासनहीनता या पार्टी लाइन से विचलन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह फैसला उन सभी नेताओं के लिए चेतावनी है जो आंतरिक राजनीति या विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
राजेश पांडे ने कहा कि यह कार्रवाई “संगठन में अनुशासन सख्त करने और चुनाव से पहले एकता बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम” है।
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा संकेत
यह निष्कासन ऐसे समय में हुआ है जब बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियाँ तेज़ हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय मांझी की पार्टी के अंदर संगठन को अनुशासन में लाने की रणनीति का हिस्सा है।
पार्टी के अंदर कुछ समय से आंतरिक मतभेद और गुटबाजी की खबरें सामने आ रही थीं।
अब इन 11 नेताओं की छुट्टी कर पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि अनुशासन सर्वोपरि है।
पार्टी के अंदर अनुशासन सख्त करने की कोशिश
इस कार्रवाई को “Damage Control” के रूप में भी देखा जा रहा है।
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि मांझी चाहते हैं कि आगामी चुनाव में पार्टी की छवि मजबूत हो।
इसलिए उन्होंने पार्टी के भीतर अनुशासन और एकजुटता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
एक वरिष्ठ नेता ने बताया —
“हम पार्टी संगठन को मजबूत करने और अनुशासन लागू करने की दिशा में गंभीर है।
कोई भी नेता अगर पार्टी लाइन से हटकर काम करेगा, तो उसके खिलाफ यही कार्रवाई होगी।”
राजनीतिक हलकों में मचा हलचल
11 नेताओं के निष्कासन की खबर फैलते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम पार्टी के अंदर की आंतरिक साफ-सफाई (internal cleanup) का हिस्सा है।
हालांकि, इससे पार्टी के स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक ढांचे पर असर पड़ सकता है।
अनुशासनहीनता के खिलाफ सख्त रुख
हम पार्टी का यह फैसला साफ संदेश देता है —
“अनुशासनहीनता या गुटबाजी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
पार्टी ने कहा कि संगठन की मजबूती और एकजुटता ही उसकी पहचान है।
हर सदस्य से उम्मीद है कि वह नीति, विचार और अनुशासन के दायरे में रहकर काम करेगा।
राजनीतिक भविष्य पर क्या असर पड़ेगा?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह निष्कासन पार्टी के लिए दोहरा प्रभाव डाल सकता है।
एक तरफ इससे पार्टी अनुशासन मजबूत होगा, वहीं दूसरी ओर कुछ असंतुष्ट गुटों की नाराज़गी बढ़ सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि जीतन राम मांझी की रणनीति साफ है —
“चुनाव से पहले किसी भी आंतरिक अस्थिरता को खत्म करना।”
FAQs: हम पार्टी निष्कासन पर पूरी जानकारी
Q1. हम पार्टी ने किन नेताओं को निष्कासित किया है?
👉 कुल 11 नेताओं को, जिनमें राष्ट्रीय सचिव, प्रदेश महासचिव और जिला अध्यक्ष शामिल हैं।
Q2. निष्कासन की अवधि कितनी है?
👉 सभी को 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है।
Q3. निष्कासन का मुख्य कारण क्या बताया गया?
👉 पार्टी की नीतियों और अनुशासन के विपरीत कार्य करना।
Q4. यह कार्रवाई किसके निर्देश पर हुई?
👉 पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी के निर्देश पर।
Q5. क्या इससे चुनावी रणनीति प्रभावित होगी?
👉 अल्पकाल में असर संभव है, लेकिन दीर्घकाल में पार्टी अनुशासन मजबूत होगा।
Q6. क्या यह कदम अन्य दलों के लिए संकेत है?
👉 हाँ, यह संदेश है कि “अनुशासन सर्वोपरि” और विरोधी रुख को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
🏁 निष्कर्ष
हम पार्टी द्वारा 11 नेताओं का निष्कासन बिहार की राजनीति में एक बड़ा संदेश है।
यह फैसला दर्शाता है कि जीतन राम मांझी अब पार्टी को अनुशासन, एकजुटता और सशक्त नेतृत्व की दिशा में ले जा रहे हैं।
चुनावी माहौल में यह कदम पार्टी की छवि को मजबूत करेगा और दिखाएगा कि “पार्टी हित सर्वोपरि है, व्यक्ति नहीं।”



