पटना: बिहार की राजनीति में आज एक नया इतिहास लिखा गया। राज्य की सत्ता एक बार फिर उस चेहरे के हाथों में गई, जिसने पिछले दो दशकों से बिहार के विकास और राजनीतिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नीतीश कुमार ने गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और इसी के साथ उन्होंने देश के सबसे लंबे समय तक कार्य करने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में एक और अध्याय जोड़ दिया।
गांधी मैदान में भव्य शपथ समारोह
गांधी मैदान में सुरक्षा और सजावट के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। समारोह में हजारों लोगों की उपस्थिति ने इसे एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन में बदल दिया। राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने नीतीश कुमार को पद की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम की बड़ी झलकियाँ —
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए।
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मंच पर मौजूद रहे।
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NDA के कई वरिष्ठ नेता पटना पहुंचे।
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नए मंत्रिमंडल के 26 मंत्रियों ने भी शपथ ली।
यह समारोह इस बात का साफ संकेत था कि NDA ने चुनाव में मिली जीत को एक मजबूत और स्थिर सरकार में बदलने का लक्ष्य तय कर लिया है।
राजनीतिक मायने — ‘सुषासन बाबू’ की वापसी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस शपथ ग्रहण ने कई राजनीतिक संदेश दिए हैं:
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राज्य में स्थिर नेतृत्व की वापसी।
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नीतीश कुमार की लोकप्रियता का फिर से प्रमाण।
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NDA के अंदर उनकी भूमिका और मज़बूत हुई।
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गठबंधन राजनीति में नीतीश की पकड़ और रणनीति एक बार फिर सफल हुई।
राजनीतिक विश्लेषक नीतीश कुमार को एक “व्यवहारिक, संतुलित और प्रशासनिक तौर पर मजबूत नेता” बताते हैं — और यही गुण उन्हें बार-बार सत्ता तक पहुंचाते हैं।
नई कैबिनेट की झलक
नई सरकार में 26 मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें शामिल हैं:
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1 मुस्लिम मंत्री
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3 महिला मंत्री
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OBC, EBC, SC समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व
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NDA की सभी प्रमुख पार्टियों को हिस्सेदारी
इस टीम से उम्मीद है कि आने वाले महीनों में प्रशासनिक सुधारों और विकास कार्यों में तेजी आएगी।
शपथ के बाद नीतीश कुमार का संदेश
अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने कहा:
“बिहार के विकास में किसी तरह की कमी नहीं आने देंगे। नई सरकार हर वर्ग के लिए काम करेगी।”
उन्होंने महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीब तबकों के लिए कई नई योजनाओं की घोषणा करने के संकेत भी दिए।
आगे की चुनौतियाँ और उम्मीदें
नई सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं:
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बेरोज़गारी
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स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
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सड़क और आधारभूत संरचना
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किसानों की आय बढ़ाना
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शिक्षा व्यवस्था में सुधार
लेकिन NDA को मिली भारी जीत और नीतीश कुमार की अनुभवी नेतृत्व क्षमता से जनता को स्थिर और विकासोन्मुखी शासन की उम्मीद बढ़ी है।
निष्कर्ष
20 नवंबर 2025 का दिन बिहार के इतिहास में एक विशेष राजनीतिक मील का पत्थर बनकर दर्ज हो गया।
नीतीश कुमार का 10वीं बार मुख्यमंत्री बनना सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति और जनता के विश्वास का प्रतिबिंब है।



