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HAM पार्टी में हलचल: 5 विधायक होते हुए भी MLC बने मंत्री, पार्टी के भीतर नाराज़गी तेज

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पटना: बिहार की नई NDA सरकार के शपथ ग्रहण के बाद एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) में असंतोष फैल गया है क्योंकि 5 विधायकों वाली पार्टी ने किसी भी निर्वाचित विधायक को मंत्री न बनाकर MLC संतोष सुमन को मंत्रिमंडल में शामिल किया है।

यह फैसला पार्टी के भीतर बड़ी राजनीतिक खींचतान पैदा कर रहा है।

मामला क्या है?

NDA सरकार में HAM को एक मंत्री पद मिला था।
लोगों की उम्मीद थी कि 5 में से किसी एक विधायक को मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी ने:

  • अपने पुत्र और MLC संतोष सुमन को मंत्री पद दिया

  • जबकि सभी 5 विधायक मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे थे

इससे पार्टी में भीतरखाने नाराज़गी और विरोध की स्थिति बन गई है।

विधायकों की प्रतिक्रिया — ‘हमसे क्या गलती हुई?’

पार्टी के कई विधायकों ने अंदरूनी मीटिंग में नाराज़गी जताई है।
एक विधायक के हवाले से यह बात सामने आई:

“हम जनता द्वारा चुने गए MLA हैं। फिर मंत्री पद हमें क्यों नहीं मिला?”

दूसरे विधायक ने कहा:

“MLC को मंत्री बनाना जनता के भरोसे के खिलाफ है।”

हालाँकि यह बयान आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आ चुका है।

क्यों चुने गए संतोष सुमन?

पार्टी सूत्रों के अनुसार:

  • वे जीतन राम मांझी के विश्वसनीय हैं

  • पहले भी राज्य में मंत्री रह चुके हैं

  • प्रशासनिक अनुभव अधिक है

  • माँझी नहीं चाहते कि पार्टी में गुटबाजी बढ़े

लेकिन यह रणनीति उलटी पड़ती दिख रही है।

NDA में इसका राजनीतिक मतलब

HAM, NDA का छोटा सहयोगी दल होते हुए भी एक अहम जातीय समीकरण का प्रतिनिधित्व करता है।
विश्लेषकों के अनुसार:

  • यह मामला NDA सरकार के भीतर पहली असहमति के रूप में देखा जा रहा है

  • आगे चुनावी रणनीति पर असर पड़ सकता है

  • HAM अपने संगठन को बचाने के लिए बड़ा फैसला ले सकती है

क्या टूट सकती है पार्टी?

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि:

  • दो विधायक पार्टी से नाराज़ होकर बाहर जा सकते हैं

  • कुछ विधायक भाजपा या जदयू से संपर्क में हो सकते हैं

हालाँकि HAM पार्टी ने इसे “अफवाह” बताया है।

पार्टी का आधिकारिक बयान

HAM प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा:

“संतोष सुमन अनुभवी हैं। पार्टी में कोई नाराज़गी नहीं है। हम NDA के साथ मजबूती से जुड़े हैं।”

लेकिन अंदरूनी हालात इससे अलग इशारा कर रहे हैं।

निष्कर्ष

HAM पार्टी में MLC को मंत्री बनाने का फैसला राजनीतिक रूप से बड़ा विवाद बन गया है।
जहाँ NDA सरकार की शुरुआत में यह पहला बड़ा विवाद है, वहीं HAM के भीतर यह मुद्दा पार्टी की एकता को चुनौती देता दिख रहा है।

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