पटना: बिहार की राजनीति में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिल रहा है।
नए चुनावी विश्लेषण से पता चला है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में जहाँ 90% सीटों पर जातिगत कारक का प्रभुत्व था, वहीं 2025 के चुनावों में यह प्रभाव घटकर केवल 60% रह गया है।
इस बदलाव को न सिर्फ बिहार की राजनीतिक संस्कृति में नई सोच का संकेत माना जा रहा है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में राज्य की चुनावी रणनीतियों को भी पूरी तरह बदल सकता है।
जातिगत वोटिंग क्यों कम हुई? (मुख्य कारण)
1️⃣ युवा वोटरों की भूमिका बढ़ी
2025 के चुनावों में 18–35 आयु वर्ग के युवा पहली बार बड़े पैमाने पर विकास आधारित मुद्दों पर वोट करते दिखे।
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रोजगार
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शिक्षा
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स्किल डेवलपमेंट
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ट्रेनिंग प्रोग्राम
जैसे मुद्दों ने जातिगत अपील को कमज़ोर किया।
2️⃣ महिला मतदाताओं का प्रभाव बढ़ा
महिलाओं को चुनाव में मिलने वाले लाभ (DBT ट्रांसफर, स्कॉलरशिप, स्वास्थ्य योजनाएँ) ने जाति से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता दी।
2025 में महिला वोट प्रतिशत ने नया रिकॉर्ड बनाया।
3️⃣ सोशल मीडिया और डिजिटल जागरूकता
स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने राज्य में राजनीतिक जागरूकता का नया दौर शुरू किया।
लोग अब जाति आधारित भ्रामक कथाओं की बजाय तथ्य, उपलब्धियाँ और योजनाओं की तुलना करने लगे हैं।
4️⃣ विकास योजनाओं का सीधा लाभ
सरकारी योजनाएँ जैसे—
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सड़क
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बिजली
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पानी
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स्वास्थ्य
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महिला कल्याण
इन सबके सीधे लाभ ने जाति-वर्चस्व को कमजोर किया।
शहरीकरण व छोटे शहरों का विस्तार
छोटे शहरों और कस्बों में विकास के चलते लोग जातीय समूहों से बाहर निकलकर “काम, रोजगार और सुविधा” को प्राथमिकता दे रहे हैं।
2020 बनाम 2025: तुलना
| चुनाव वर्ष | जातिगत प्रभाव | प्रमुख कारक |
|---|---|---|
| 2020 | 90% सीटें जाति आधारित | MY समीकरण, जातीय गठबंधन, पारंपरिक राजनीति |
| 2025 | 60% सीटें | युवा वोट, महिला वोट, सोशल मीडिया प्रभाव, विकास इश्यू |
राजनीतिक पार्टियों की रणनीति पर असर
🔹 जदयू–भाजपा गठबंधन
उन्होंने विकास–आधारित नीतियों और महिला वोट बैंक पर जोर देकर जातिगत राजनीति को संतुलित किया।
🔹 RJD और महागठबंधन
क्रमशः जातीय समीकरण से बाहर निकलकर नए सामाजिक समीकरणों की ओर बढ़ने की जरूरत महसूस कर रहे हैं।
🔹 कांग्रेस
युवा और महिला वोटरों से सीधा जुड़ाव बढ़ा रही है।
🔹 क्षेत्रीय दल
जाति आधारित अपील अब धीरे-धीरे कमज़ोर हो रही है, जिससे छोटे दलों को नई रणनीति बनानी होगी।
विशेषज्ञों की राय
राजनीति विशेषज्ञ कहते हैं:
“बिहार का समाज बदल रहा है। नई पीढ़ी जाति के ऊपर अवसर, विकास और रोजगार को प्राथमिकता दे रही है।”
दूसरे विशेषज्ञ का कहना है:
“यदि यह ट्रेंड इसी तरह जारी रहा, तो 2030 तक बिहार में जातिगत राजनीति हाशिए पर जा सकती है।”
ग्रामीण बनाम शहरी प्रभाव
✔ शहरी क्षेत्रों में जातिगत प्रभाव सबसे तेज़ी से घटा
✔ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जाति का प्रभाव मौजूद
✔ लेकिन पहली बार ग्रामीण युवाओं ने भी जाति से ऊपर उठकर रोजगार को प्राथमिकता दी
2025 के चुनाव परिणामों पर असर
2025 के चुनाव में:
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कई सीटें पहली बार जातिगत समीकरणों से हटकर जीती/हारी गईं
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महिला मतदाताओं ने कई क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाई
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युवा मतदाताओं ने पुराने वोट पैटर्न को बदला
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति एक बड़े परिवर्तन से गुजर रही है।
2020 से 2025 के बीच जातिगत राजनीति का प्रभाव 90% से गिरकर 60% होना यह दर्शाता है कि जनता अब:
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मुद्दों
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विकास
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शिक्षा
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स्वास्थ्य
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रोजगार
को जाति से अधिक महत्व देने लगी है।
यह बदलाव आने वाले वर्षों में बिहार की दिशा और राजनीतिक संस्कृति दोनों को बदल देगा।



