बिहार में हाल ही में आए चुनाव परिणामों ने राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। जहां कई दल अपनी रणनीतियों का मूल्यांकन कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने अपनी हार के पीछे ‘वोट चोरी’ को प्रमुख कारण बताते हुए नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है।
कांग्रेस का कहना है कि मतगणना प्रक्रिया, मतदाता सूची, और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम में कथित गड़बड़ियों के कारण पार्टी को वास्तविक समर्थन नहीं मिला। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आरोप है कि कई क्षेत्रों में विपक्षी दलों ने “संगठित तरीके” से कांग्रेस को नुकसान पहुँचाया।
कांग्रेस नेतृत्व का दावा — ‘हम हारे नहीं, हमें हराया गया’
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का कहना है कि चुनावी मैदान में पार्टी को जनता का पूरा समर्थन मिला था, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण परिणाम उनकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा—
“कई बूथों पर वोट प्रतिशत संदिग्ध रूप से बदल गया। कई समर्थकों ने शिकायत की कि उनकी वोट लिस्ट में नाम नहीं था। हमें इस पर गहन जांच चाहिए।”
कांग्रेस इस पूरे परिणाम का विस्तृत डेटा-विश्लेषण कर रही है और जल्द ही हाई-कमान के सामने एक रिपोर्ट पेश करेगी।
आंतरिक समीक्षा के बजाय ‘वोट चोरी’ पर फोकस क्यों?
राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस को पहले अपनी संगठनात्मक कमजोरी और जमीनी नेटवर्क की कमी पर चर्चा करनी चाहिए, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने आरोपों को प्राथमिकता दी है।
कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम कांग्रेस के कैडर को मनोवैज्ञानिक तौर पर मजबूती देने और जनता के बीच सहानुभूति पैदा करने की रणनीति भी हो सकता है।
बीजेपी और जेडीयू का पलटवार — “हार स्वीकार करना सीखें”
वहीं बीजेपी और नीतीश कुमार की जेडीयू ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा—
“जब जीतते हैं तो ईवीएम ठीक, जब हारते हैं तो मशीन खराब। जनता ने उन्हें नकार दिया है—यह सच्चाई है।”
जेडीयू ने भी कांग्रेस को सलाह दी कि वह “बिहार के मतदाताओं का अपमान करने से बचे।”
क्या होगी अगली कार्रवाई?
कांग्रेस के संकेत के अनुसार:
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वे निर्वाचन आयोग को औपचारिक शिकायत भेज सकती है।
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कुछ सीटों पर पुनर्मतगणना की मांग संभव है।
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कानूनी विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।
पार्टी 2025 और 2027 के चुनावों के लिए अपनी नई रणनीति बनाने में जुट गई है।
निष्कर्ष
बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस और अन्य दलों के बीच “वोट चोरी” को लेकर शुरू हुई बहस जल्द खत्म होती नहीं दिख रही।
चुनावी ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता जैसे मुद्दे अब राज्य की राजनीति में केंद्र बिंदु बन गए हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपने आरोपों को सबूतों के साथ पेश कर पाएगी या यह मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी साबित होगा।



