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PM 2.5 के मामले में दिल्ली फिर सबसे प्रदूषित शहर, WHO मानक से 20 गुना अधिक स्तर दर्ज: उपग्रह-आधारित विश्लेषण

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नई दिल्ली | 25 नवंबर (भाषा)
देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली एक बार फिर सबसे प्रदूषित शहर के रूप में सामने आई है।
नए उपग्रह-आधारित अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में PM 2.5 प्रदूषक तत्वों की वार्षिक औसत सांद्रता 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई है। यह:

  • भारतीय मानक (40 µg/m³) का 2.5 गुना

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मानक (5 µg/m³) का 20 गुना

है, जो बेहद चिंताजनक है।

यह रिपोर्ट Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसमें मार्च 2024 से फरवरी 2025 तक की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण शामिल है।


दिल्ली का PM 2.5 स्तर क्यों खतरनाक है?

विशेषज्ञों के अनुसार PM 2.5 कण बेहद सूक्ष्म होते हैं और:

  • फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश करते हैं

  • रक्त प्रवाह में घुल जाते हैं

  • हृदय रोग, स्ट्रोक, दमा, और कैंसर के जोखिम बढ़ाते हैं

WHO PM2.5 को दुनिया के सबसे घातक प्रदूषकों में गिनता है।


रिपोर्ट में क्या कहा गया? — प्रदेशवार स्थिति

CREA के उपग्रह-आधारित अध्ययन के मुताबिक:

1️⃣ दिल्ली — 101 µg/m³ (पहला स्थान)

सबसे खराब वायु गुणवत्ता, WHO मानक का 20 गुना।

2️⃣ चंडीगढ़ — 70 µg/m³ (दूसरा स्थान)

दिल्ली से थोड़ा कम, लेकिन अभी भी अत्यधिक खतरनाक।

3️⃣ हरियाणा — 63 µg/m³ (तीसरा स्थान)

4️⃣ त्रिपुरा — 62 µg/m³ (चौथा स्थान)

रिपोर्ट दर्शाती है कि उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता संकट गंभीर स्तर पर है।


उपग्रह-आधारित रिपोर्ट क्यों विश्वसनीय है?

उपग्रह सेंसर:

  • बड़े पैमाने पर सटीक डेटा देते हैं

  • मौसमी बदलाव ट्रैक करते हैं

  • ग्राउंड मॉनिटरिंग की तुलना में व्यापक कवरेज प्रदान करते हैं

CREA ने उपग्रह, रडार और ग्राउंड स्टेशन डेटा को संयोजित करके विश्लेषण तैयार किया है।


दिल्ली प्रदूषण के मुख्य स्रोत क्या हैं?

  1. वाहनों का उत्सर्जन (सबसे बड़ा स्रोत)

  2. औद्योगिक प्रदूषण

  3. निर्माण धूल

  4. पराली धुआं (सीजनल इफेक्ट)

  5. घनी आबादी और शहरी गर्मी

  6. कम हवा की गति

यह सभी कारक मिलकर दिल्ली की हवा को लगातार “गंभीर” श्रेणी में धकेलते हैं।


विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे “सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति” कहा है।

एक वरिष्ठ शोधकर्ता ने कहा:

“देश की राजधानी में WHO मानक से 20 गुना अधिक PM 2.5 स्तर बेहद खतरनाक है। सरकारों को ठोस हस्तक्षेप की ज़रूरत है।”


निष्कर्ष

दिल्ली का प्रदूषण स्तर हर साल बिगड़ता जा रहा है, और नई रिपोर्ट ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है।
जब तक सरकारें वाहनों, निर्माण, उद्योग और पराली जैसे स्रोतों को नियंत्रित नहीं करतीं, तब तक स्थिति में सुधार मुश्किल है।

यह विश्लेषण बताता है कि भारत को राष्ट्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण के खिलाफ अधिक कठोर और दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है।

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