नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) परियोजनाएं शुरू करने की मंजूरी दे दी है। अब राज्य सरकारें सीधे सोलर, विंड और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स शुरू कर सकेंगी, भले ही केंद्र की एजेंसियों के पास बिजली अभी तक पूरी तरह न बिकी हो।
सरकार का कहना है कि इस फैसले से भारत में हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और राज्यों को बिजली संकट से निपटने में मदद मिलेगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?
कई संघीय एजेंसियों के पास पहले से उत्पादित बिजली स्टॉक में पड़ी थी, लेकिन बिक्री नहीं हो पा रही थी। इससे नए प्रोजेक्ट्स में देरी हो रही थी। अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस वजह से राज्यों की योजनाएं नहीं रुकेंगी।
इससे राज्यों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलेगी और वे अपनी जरूरत के अनुसार बिजली प्रोजेक्ट आगे बढ़ा सकेंगे।
देश को क्या होगा फायदा?
इस फैसले से भारत को कई स्तरों पर लाभ मिल सकता है:
✅ प्रदूषण में कमी
✅ बिजली उत्पादन में वृद्धि
✅ कोयले और तेल पर निर्भरता कम
✅ रोजगार के नए अवसर
✅ बिजली दरों में स्थिरता
✅ बिजली की पहुंच ग्रामीण इलाकों तक
किन राज्यों को मिलेगा ज्यादा फायदा?
जिन राज्यों में सोलर और विंड एनर्जी की अधिक संभावना है, उन्हें इस नीति से खास लाभ मिल सकता है:
• राजस्थान
• गुजरात
• तमिलनाडु
• महाराष्ट्र
• कर्नाटक
• आंध्र प्रदेश
निवेश और रोजगार के अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही राज्यों को खुली छूट मिलेगी, निजी कंपनियां भी निवेश बढ़ाएंगी। इससे हजारों नए रोजगार पैदा होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
निष्कर्ष
सरकार का यह कदम भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर योजना सही तरीके से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत ग्रीन एनर्जी हब बन सकता है।



