नई दिल्ली:
13 दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास में एक बेहद दर्दनाक और गंभीर घटना के रूप में दर्ज है। वर्ष 2001 में 13 दिसंबर की सुबह, आतंकवाद का काला साया देश के लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था भारतीय संसद तक आ पहुंचा था।
देश की राजधानी दिल्ली का वह इलाका, जिसे सबसे अधिक सुरक्षित माना जाता है, उस दिन आतंकवादियों के कायराना हमले से दहल उठा। संसद परिसर के बाहर घुसे आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला करने की कोशिश की।
इस हमले में कई बहादुर सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना संसद और जनप्रतिनिधियों की रक्षा की। उनकी वीरता और बलिदान को आज भी देश नमन करता है।
संसद पर हुए इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति और सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सख्त किया। यह घटना देश की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
हर वर्ष 13 दिसंबर को देश संसद पर हुए इस कायराना हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहने का संकल्प दोहराता है।



