
चार दिवसीय अनुष्ठान को लेकर बाजारों में चहल-पहल
महाआस्था का महापर्व का पहले दिन नहाय खाय से छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर की आराधना की। छठ व्रतियोंं द्वारा चार दिन तक सूर्यदेव और छठ मईया की उपासना की जायेगी।
मान्यता है कि छठ पूजा करने से छठी मईया प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाए पूर्ण करती है। चैत्र शुक्ल षष्ठी व का्त्तितक शुक्ल षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है। छठ व्रती विभिन्न प्रसिद्ध नदियों खासकर गंगा, कोसी के संगम तट पर स्नान कर नये वस्त्र धारण कर पूजा अर्चना की। का्त्तितक शुक्ल पंचमी के दिन छठ पूजा का दूसरे दिन व्रत रखा जाता है। छठ व्रती इस दिन शाम के समय एक बार भोजन ग्रहण करते हैं। जिसे खरना कहा जाता है। इस दिन से व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। जानकारी के अनुसार राम सीता ने भी सूर्यदेवता की अराधना की थी।
श्रीराम और माता सीता जब चौदह वर्ष का वनवास काटकर लौटे थे तब सीताजी ने छठ व्रत किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण वध के बाद जब राम और सीता अयोध्या लौटने लगे तो पहले उन्होंने सरयुग नदी के तट पर अपने कुल देवता सूर्य की उपासना की थी। और दिन भर व्रत रखकर डूबते सूर्य की पूजा की थी। मंहगाई पर भी आस्था भारी पड़ा। लोगों ने पर्व को लेकर अपने अपने क्षमता के अनुसार पूजन सामग्री की खरीददारी गुरुवार को देरशाम तक की। शुक्रवार को खरना प्रसाद बनाने को लेकर अभी से ही परवैतीनों द्वारा तैयारी शुरू कर दी गयी है। गंगा घाट पर स्नान को लेकर भीड़ जमी रही।
स्रोत-हिन्दुस्तान