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दो साल बाद भी नहीं बन सका कोसी धार में पुल

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दो साल बाद भी नहीं बन सका कोसी धार में पुल

वर्ष 2017 में आई भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल चुके शहर के मिर्जाभाग व आसपास के मोहल्लें में रहने वाले लोगों की जिंदगी अब तक पटरी पर नहीं लौटी है। बाढ़ में टूटी सड़क अब तक पूरी तरह नहीं बन पाई है साथ ही क्षेत्र के हजारों बाशिंदों के लिए लाइफ लाइन कोसी धार का पुल भी नहीं बन पाया है।

मिर्जाभाग अररिया नगर परिषद क्षेत्र के पड़ोसी बेलवा पंचायत का हिस्सा है। लेकिन व्यवहारिक रूप से मिर्जाभाग अररिया शहर में ही माना जाता है। अररिया नप के वार्ड संख्या 29 स्थित आदर्श मध्य विद्यालय ककोड़वा मोड़ से मिर्जाभाग को जाने वाली सड़क जहां दक्षिण की दिशा में एनएच 327 ई को जोड़ती है। वहीं उत्तर की तरफ ये सड़क बेलवा पंचायत के भगत टोला और नप के वार्ड संख्या 29 से होती हुई शहर में प्रवेश करती है।

2017 की बाढ़ में मचाई थी भयंकर तबाही: वर्ष 2017 की बाढ़ ने वो तबाही मचाई की ये सड़क न केवल पूरी तरह ध्वस्त हो गई। बल्कि कोसी धार में बना पल तिनके की तरह बह गया। बाढ़ के बाद लोग उम्मीद लगा बैठे की साल छह माह में हालात दुरुस्त हो जाएंगे। टूटी सड़क की मरम्मत हो जायेगी। ध्वस्त पल भी फिर से बन कर तैयार हो जायेगा। लेकिन विडंबना ये है कि दो वर्ष गुजर जाने के बाद भी लोगों की आस पूरी नहीं हो पाई है। लगभग डेढ़ किमी लंबी इस जर्जर सड़क पर पैदल और वाहन दोनों से चलना परेशानी का सबब तो बना हुआ है ही। लेकिन ध्वस्त पुल लोगों की दिक्कतों के एक बड़ा कारण बना हुआ है।

चार सौ मीटर दूर जाने के लिए पांच किमी का सफर: पुल के अभाव में क्षेत्र के किसानों को अपने घर से महज 400 से 500 मीटर दूर खेतों तक पहुंचने के लिए जीरोमाइल होकर जाना पड़ता है। ये दूरी चार से पांच किलोमीटर है। क्षेत्र वासियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में खेती किसानी प्रभावित हो रही है। मिर्जाभाग निवासी व मदरसा इसलामिया यतीमखाना के सेवानिवृत्त कर्मचारी फरमान अली, लघु किसान मो. फखरुद्दीन के साथ-साथ मो साबिर, मो कासिम आदि ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि टूटी फूटी सड़क पर आना जाना तो किसी तरह हो जाता है, लेकिन खेती को लेकर बहुत दुश्वारी हो रही है। मिर्जाभाग व आसपास के कमोबेश सभी छोटे बड़े किसानों के खेत टूटे पुल के पार हैं। श्री फरमान की मानें तो पुल की दूसरी तरफ बेलवा, अजमतपुर व सुरजापुर आदि इलाकों में क्षेत्र के किसानों की 200 एकड़ से अधिक जमीनें हैं। खेती की यही जमीन उनके जीवन यापन का साधन हैं। सड़क व पल के अभाव में खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। रखवाली में दिक्कत आ रही है। आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।

साल भर पहले शुरू हुआ था निर्माण पर अब तक अपूर्ण: इस सिलसिले की एक दिलचस्प बात ये है कि करीब साल भर पहले जो सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ वो अब तक पूरा नही हो पाया है। यही नही बल्कि पिछले चार छह माह से निर्माण कार्य तो पूरी तरह बंद ही पड़ा है। पूछे जाने पर फरमान ने बताया कि सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ। पुरानी सड़क उखाड़ी गयी। फिर गिट्टी डाल कर एक बार रोलर चला। इसके बाद से आगे का काम ठप पड़ा हुआ है। पुल की स्थिति तो और भी खराब है। कुछ माह पहले पुराने ध्वस्त पुल के बराबर में एक नए पुल का निर्माण शुरू हुआ।

पर जून माह से वह काम भी रुका पड़ा है। उधर वार्ड 29 निवासी कैसर आलम ने भी कहा कि सड़क पुल के कारण बहुत परेशानी हो रही है। उनलोगों की खेती की सारी जमीनें पुल की दूसरी जानिब हैं। राजेश भगत ने बताया कि कोसी धार में पुल के अभाव में खेतों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर का अनावश्यक सफर करना पड़ता है। फसल ढुलाई का खर्च भी बढ़ गया है। वहीं सड़क व पुल निर्माण में हो रहे विलंब के बाबत पूछे जाने पर बेलवा पंचायत के मुखिया मसूद आलम ने कहा कि काम लगभग छह माह से बंद है। उन्होंने बताया कि संवेदक के कुछ स्टाफ से उन्होंने दरयाफ्त किया तो बताया गया कि किसी दूसरे साइट पर काम चलने के कारण इस सड़क के निर्माण कार्य में विलंब हो रहा है। लोगों ने कहा कि स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि का इन समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं है। खासकर किसानों को ज्यादा दिक्कत होती है। पुल के बनने से किसानों को काफी लाभ होगा।

स्रोत-हिन्दुस्तान

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