
अररिया: कड़ाके की ठंड में पशुओं को कोल्ड स्ट्रोक का खतरा
पिछले कुछ सप्ताह से जारी भीषण ठंड से एक तरफ जहां जन जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं पशुओं में कोल्ड स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। भीषण ठंड से मवेशियों को बचाना पशुपालकों के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है। पशु वैज्ञानिक के मुताबिक, थोड़ी सी लापरवाही खासकर दुधारू पशुओं के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। शीत लहर से बचाने के लिए पशुओं का आवास, आहार व स्वास्थ्य का समुचित प्रबंधन बेहद जरूरी है। पशुओं के नाक व आंख से पानी आना, भूख में कमी, दूध उत्पादन में कमी और शरीर कांपना आदि कोल्ड स्ट्रोक के लक्षण हैं। अगर इस तरह का लक्षण दिखे तो पशु चिकित्सक से सलाह लें। पशु वैज्ञानिक डा. रत्नेश कुमार चौधरी बताते हैं कि भीषण ठंड में धूप निकलने के बाद ही पशुओं को खुली जगह पर रखें। मवेशी घर को जूट की बोरी से अच्छी तरह घेर कर रखें, ताकि उसमें हवा प्रवेश नहीं करे। फर्श पर नमी नहीं रहे ऐसी व्यवस्था करें कि पशु शाला से गौ मूत्र व गोबर आसानी से बाहर निकल जाए। बिछावन के रूप में पराली जरूर बिछायें। पशुओं को पुराना कंबल या फिर जूट के बोरे से ढक कर रखें। पशुओं से कुछ दूर पर अलाव की व्यवस्था करें। पशुओं को ताजा पानी दें और ऊर्जा को लेकर अतिरिक्त दाना दें। पशुओं को खल्ली, गुड़, नमक व खनिज लवण दें। उन्होंने कहा कि नव वर्ष के प्रवेश करते ही बारिश हो सकती है। ऐसे मौसम में पशुओं के थन फटन की संभावना होती है ऐसे में दूध निकालने के बाद नोरोलीन व वैसलीन का प्रयोग करें। पशुओं को खुरपका व मुंह पका का टीकाकरण जरूर करायें। सर्द मौसम में निमोनिया होने की संभावना अधिक रहती है।
HINDUSAAN