
पटना/अररिया।
बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ (बेएसा) ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा कर दी है। संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द सकारात्मक पहल नहीं की तो कार्यपालक सहायकों को सामूहिक अवकाश और अंततः अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए विवश होना पड़ेगा।
संघ का कहना है कि कार्यपालक सहायकों को वर्षों से नियमितीकरण, सेवा शर्तों में सुधार और वित्तीय लाभों से वंचित रखा गया है। बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद अब तक ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इसी उपेक्षा से आक्रोशित होकर अब पूरे राज्य के कार्यपालक सहायक आंदोलन के रास्ते पर उतर आए हैं।
आंदोलन कार्यक्रम
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03 से 06 सितंबर 2025
प्रदेश भर में सभी कार्यपालक सहायक काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे और अपनी मांगों को जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार तक पहुँचाएंगे। -
05 सितंबर 2025
जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस एवं कैंडिल मार्च निकाला जाएगा। अररिया जिला मुख्यालय (अस्पताल चौक) को भी इस दिन आंदोलन का बड़ा केंद्र बनाया जाएगा। -
07 सितंबर 2025
सभी कार्यपालक सहायक लैपटॉप और की-बोर्ड के साथ शांतिपूर्ण धरना देंगे और सरकार की उपेक्षा के खिलाफ अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे।
संघ ने कहा है कि यदि इसके बावजूद सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की तो 10 सितंबर 2025 से कार्यपालक सहायक दो दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। इसके बाद भी अनदेखी जारी रही तो अनिश्चितकालीन हड़ताल और अनशन जैसे कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
अररिया इकाई की चेतावनी
अररिया जिला इकाई ने भी जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर आंदोलन की रूपरेखा से अवगत करा दिया है।
जिला अध्यक्ष मनीष कुमार ठाकुर (मो. 9934935390) ने कहा –”हमारी लड़ाई सम्मान और अधिकार की है। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं, हम पीछे नहीं हटेंगे।”
जिला सचिव मनीष कुमार कश्यप (मो. 8409355643), उपाध्यक्ष दीपा मजूमदार (मो. 7631246111), मीडिया प्रभारी भूषण कुमार (मो. 7903935082), कोषाध्यक्ष दिलसाद आलम (मो. 9534591051) और संयुक्त सचिव अमित कुमार सिंह (मो. 7209270790) ने संयुक्त बयान में कहा कि जिले का प्रत्येक कार्यपालक सहायक आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करेगा।
संघ का रुख
संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संचालित होगा। परंतु यदि सरकार ने चुप्पी साधे रखी और कर्मचारियों की जायज़ मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो कार्यपालक सहायकों को कठोर और ऐतिहासिक आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।