
अररिया- एक तरफ लॉकडाउन तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस की अन्य प्रदेशों में फंसे मजदूरों के लिए मुसीबत बन गई है। जिले के हजारों मजदूर अन्य राज्यों में फंसे हैं। वहीं रानीगंज प्रखंड के मोहनी पंचायत के दुर्गापुर गांव निवासी 14 मजदूर बनारस से साइकिल चलाकर चार दिन बाद सोमवार को अपने गांव पहुंचे। मजदूरों के पहुंचते ही गांव में खलबली शुरू हो गई। गांव वासियों ने इसकी सूचना पंचायत के मुखिया मंसूर आलम को दी। मुखिया ने रानीगंज के स्वास्थ्य विभाग के टीम को जानकारी दी। स्वास्थ्य विभाग के टीम सभी मजदूरों को अपने साथ जांच के लिए अस्पताल ले गई। बनारस गांव पहुंचे मजदूर मुख्तार अंसारी, जाबिर अंसारी, इसहाक, इब्राहिम, इम्तियाज, जमाल, इरफान, कुद्दूस, कलाम, अय्यूब आदि ने बताया कि वह बनारस में लेबर मिस्त्री का काम करते थे। लॉकडाउन होने के बाद मकान मालिक किराया मांगने लगे और खाने के लिए राशन भी खत्म हो गया था। किसी के पास पैसे नहीं थे। इसके बाद चार दिन पहले वे सभी अपने अपने साइकिल से गांव के लिए रवाना हो गए,यूपी के गजियाबाद के समीप एक मुखिया जी ने खाना खिलाया और थैले में कुछ सूखा नाश्ता भी दिया था। रास्ते में भूख लगने पर वही नास्ता खाते थे। रात दिन साइकिल चलाकर चार दिन बाद गांव पहुंचे हैं। वे सभी स्वस्थ हैं। इधर पंचायत के मुखिया मंसूर आलम ने बताया कि सभी मजदूरों को स्वास्थ्य विभाग की टीम अपने साथ रानीगंज रेफरल अस्पताल ले गई है। मजदूरों की सघन जांच के बाद कोरोना के वायरस के लक्षण नहीं मिलने पर गांव पहुंचाया जाएगा।-रिपोर्ट -विनय ठाकुर (सीमांचल लाइव )