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जिस हाथ से बिहार सरकार को आवेदन लिखकर लगाया जांच का गुहार, उसी हाथ को काटकर श्री राम को चढ़ाया।

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जिस हाथ से बिहार सरकार को आवेदन लिखकर लगाया जांच का गुहार, उसी हाथ को काटकर श्री राम को चढ़ाया।

 

भ्रष्टाचार के खिलाफ, अररिया जिले के लाल ने काट लिया अपना हाथ। पंचायत स्तर की योजनाओं में सरकार से जांच के लिए, की थी मांग। विनय ठाकुर – संवाददाता नरपतगंज। भरगामा प्रखंड अंतर्गत छर्रापट्टी गांव निवासी स्वर्गीय रामदत्त मंडल के पुत्र विमल कुमार मंडल उम्र 45 वर्ष ने भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ते लड़ते, श्री राम की नगरी अयोध्या में सरयु नदी के किनारे अपने हाथ काट लिए। यह घटना भ्रष्टाचार और नीतीश सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा संकेत है।

 

 

 

क्या बिहार में पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार चरम पर है? विदित हो कि विमल कुमार मंडल बर्ष 2007 से 2011 के बीच सिमरबनी पंचायत के उप मुखिया भी रहे हैं। उप मुखिया के कार्यकाल में श्री मंडल ने पंचायत योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाया था। उप मुखिया पद से हटने के बावजूद भी यह लड़ाई जारी रहा। वर्ष 2017 में नीतीश सरकार में ही जदयू से पंचायत अध्यक्ष के रूप में मनोनीत हुए।इस उत्तरदायित्व के साथ उन्होंने नीतीश सरकार को, पंचायत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने हेतु, कई मामलों को उजागर करते हुए जांच हेतु आवेदन दिए थे। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुआ। जांच एवं कार्यवाही नहीं होने से श्री मंडल हताश थे। इस मुहिम में उन्होंने अपने पूर्वजों की संपत्ति यानी जमीन भी दाव लगा दी, परंतु कुछ हासिल नहीं हुआ। परिजनों के अनुसार इस लड़ाई में ढाई एकड़ जमीन बेच दी थी।

 

 

श्री मंडल ने अंतिम आवेदन बिहार के मुखिया नीतीश कुमार को रजिस्ट्री डाक से दिनांक 15 जून 2022 को मामले से पुनः अवगत कराते हुए भ्रष्टाचार के मामले को जांच करने का गुहार लगाया था। उन्होंने अपने आवेदन में लिखा था कि,” 1 अक्टूबर 2022 तक वीडियोग्राफी के साथ पंचायत में किए गए योजनाओं की जांच नहीं हुई तो ‘भगवान श्रीराम की सौगंध’ मैं उस हाथ को काट लूंगा जिस हाथ से बिहार के मुखिया नीतीश कुमार को आवेदन लिखा है”। परंतु बिहार सरकार के निकम्मेपन के चलते श्री मंडल ने अपने सौगंध के कारण अपने हाथ काटकर श्री राम लला को अर्पित कर दिया।

 

 

वे चाहते थे कि हमारे पंचायत में रामराज हो, भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत बने, सरकार हमारी मदद करें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह अररिया नहीं, बिहार नहीं, भारत के लिए शर्म की बात है, एक राष्ट्रवादी शख्स भ्रष्टाचार के खिलाफ 10 सालों की लड़ाई में अपनी गाढ़ी कमाई न्योछावर कर दिया परंतु बिहार सरकार के कान तक जूं तक न रेंग सका। बताते चलें कि बिहार में लगभग सभी पंचायतों में, सभी जिलों में, भ्रष्टाचार चरम पर है। ऐसा प्रतीत हो रहा है, बिहार भ्रष्टाचार के गर्त में गहरा धंसा हुआ है। वर्षों से जो सत्ता का खेल चल रहा है, बिहार की जनता उसमें पीस रही है। इस घटना के बाद दबे जुबान लोग बताते हैं, भ्रष्टाचार में पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक के जनप्रतिनिधि व वरीय पदाधिकारी शामिल हैं। वहीं घटना के बाद से पीड़ित के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। एक बूढ़ी मां के अलावा पत्नी एवं चार पुत्री एक पुत्र परेशान हैं, अपने पालक के लिए, उनकी दुर्दशा के लिए, उन्हें देखने के लिए, बूढ़ी मां की हताश नेत्रों में बिहार की दुर्दशा स्पष्ट दिखाई दे रही है।

 

स्थानीय ग्रामीणों ने कहा विमल मंडल नेक ईमानदार समाजसेवी एक दूसरे का दुख दर्द बांटने वाला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला समाज का योद्धा है। हम लोग विमल कुमार के साथ हर मुसीबत में खड़े हैं। क्या कहते हैं मुखिया प्रतिनिधि रंजन मंडल:- श्री मंडल ने कहा घटना से हम लोग भी आहत हैं।

 

परंतु विमल मंडल जी को अपना हाथ नहीं काटना चाहिए था। भ्रष्टाचार का कोई लड़ाई नहीं लड़ रहा था।

 

 

 

 

 

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