Home अररिया ‘एक नीतीश कुमार की अंतिम पारी, दूसरे नीतीश कुमार का आगाज’, JNU के बाद बिहार की सत्ता होगी मंजिल! – NITISH KUMAR

‘एक नीतीश कुमार की अंतिम पारी, दूसरे नीतीश कुमार का आगाज’, JNU के बाद बिहार की सत्ता होगी मंजिल! – NITISH KUMAR

4 second read
Comments Off on ‘एक नीतीश कुमार की अंतिम पारी, दूसरे नीतीश कुमार का आगाज’, JNU के बाद बिहार की सत्ता होगी मंजिल! – NITISH KUMAR
0
6

‘एक नीतीश कुमार की अंतिम पारी, दूसरे नीतीश कुमार का आगाज’, JNU के बाद बिहार की सत्ता होगी मंजिल! – NITISH KUMAR

देश की राजनीति में दस्तक देने के लिए युवा नीतीश कुमार तैयार हैं. जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद अगली मंजिल बिहार की सियासत होगी?

अररिया: बिहार के अररिया जिले के नीतीश कुमार जेएनयू छात्र संघ के नए अध्यक्ष बने हैं. जिले के भरगामा प्रखंड के शेखपुरा गांव के रहने वाले नीतीश के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. परिवार के लोग खुश हैं कि उनका ‘राजा’ जेएनयू पर राज करेगा. वहीं चाचा और चचेरे भाई उत्साहित होकर कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अंतिम पारी खेल रहे हैं. ऐसे में उनकी जगह लेने के लिए हमारा नीतीश तैयार हो चुका है.

अररिया के रहने वाले हैं नीतीश कुमार: शेखपुरा गांव निवासी स्वर्गीय स्वामी राजवल्लभ बाबा के पौत्र और प्रदीप यादव के बेटे नीतीश कुमार परिवार में तीसरे स्थान पर हैं. बहन और भाई उनसे बड़े हैं. नीतीश कुमार ने प्रारंभिक शिक्षा फारबिसगंज के सरस्वती शिशु मंदिर से प्राप्त की. इसके बाद 12वीं की पढ़ाई पूर्णिया कॉलेज और स्नातक की पढ़ाई बीएचयू से पूरी की है. वर्तमान में वह जेएनयू से पीएचडी कर रहे हैं. 26 वर्षीय नीतीश के पिता प्रदीप यादव एमएलडीपीके कॉलेज के प्रोफेसर के रूप पदस्थापित हैं. उनकी माता पूनम देवी गृहिणी हैं. जिले के नरपतगंज के कन्हैली गांव में नीतीश का ननिहाल है.

राजनीति में काफी दिलचस्पी: नीतीश के भाई के मुताबिक उनको राजीनित में बहुत रुचि रही है. हालांकि पिता चाहते थे कि नीतीश पढ़-लिखकर आईएएस बने लेकिन लगता है कि वह राजनीति में ही आगे जाएंगे. पढ़ाई में काफी तेज रहा है लेकिन जेएनयू में जाने के बाद उसकी दिलचस्पी राजनीति में बढ़ गई है.

‘राज करेगा हमारा राजा’: नीतीश कुमार की दादी भलुर देवी बार-बार मोबाइल पर पोते का भाषण सुनती हैं और खुश होती हैं. वे भावुक होकर कहती हैं, ‘हमारा राजा बड़का कॉलेज का अध्यक्ष बना है. हमलोग बहुत खुश हैं. गुरुदेव महाराज की कृपा होगी तो वह और आगे बढ़ेगा

क्या बोले चाचा?: नीतीश के चाचा कहते हैं कि जब से पता चला है कि हमारा भतीजा जेएनयू के छात्र संघ का अध्यक्ष बना है, तब से आसपास के लोग लगातार हमारे घर पर आ रहे हैं. हमलोग बहुत खुश हैं. वे कहते हैं कि हमलोग उसे प्यार से ‘राजा’ कहकर बुलाते हैं. हमलोगों को उम्मीद है कि एक दिन अपने काम से वह सच में राजा बनकर दिखाएगा.

“हमलोगों के परिवार में सब लोग बहुत खुश है. मैं चाहता हूं कि वह आगे पढ़े. नाम राजा है तो राजा वाला काम भी करके समाज में दिखाए.”- दिलीप यादव, नीतीश के चाचा

‘नीतीश कुमार की जगह लेगा हमारा नीतीश: वहीं, नीतीश के चेचेरे भाई शानू यादव तो उनमें बिहार की राजनीति का भविष्य देखते हैं. वे कहते हैं कि क्या संयोग है कि एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उम्र हो रही है और वह अंतिम पारी खेलने वाले हैं तो वहीं हमारे नीतीश का आगाज हो रहा है. हमलोग तो यही मानकर चल रहे हैं कि वही आने वाले समय में सीएम नीतीश कुमार की जगह लेगा

नीतीश कुमार (नीतीश कुमार का सोशल मीडिया)

“नीतीश कुमार जो बिहार में शासन कर रहे हैं, इनका समय और उम्र अब जाने वाला है. भगवान की महिमा देखिये कि एक नीतीश कुमार का उम्र जाने वाला है और दूसरे नीतीश कुमार का आगाज हो गया है. अभी देश के सबसे बड़े यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष चुना गया है और आने वाले भविष्य बिहार पर राज करेगा. दूसरा नीतीश कुमार यही होगा.”- शानू यादव, नीतीश के चचेरे भाई

एबीवीपी को हराकर बने अध्यक्ष?: ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन यानी आइसा उम्मीदवार नीतीश कुमार उर्फ राजा ने जेएनयू छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है. उन्हें 1702 मत मिले, जबकि एबीवीपी की शिखा स्वराज को 1430 वोट मिले. वहीं स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) समर्थित तैयब्बा अहमद को 918 वोट मिले.

कन्हैया भी बने थे अध्यक्ष: दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में बिहार के छात्रों का पहले भी वर्चस्व रहा है. आइसा और डीएसएफ गठबंधन के समर्थन से अररिया के नीतीश कुमार ने इस बार जीत हासिल की है. इससे पहले साल 2015 में कन्हैया कुमार भी जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे. उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एआईएसएफ) का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि फरवरी 2016 में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारेबाजी प्रकरण के कारण वह काफी विवादों में रहे थे.

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In अररिया
Comments are closed.

Check Also

बेगूसराय: इतिहास, संघर्ष और सांस्कृतिक चेतना की भूमि- नाम की उत्पत्ति – ‘बेगू की सराय’ से ‘बेगूसराय’ तक

जब कोई बिहार के दिल की बात करता है, तो बेगूसराय का नाम स्वतः ही उभर आता है। गंगा की कल-कल …