
अररिया के फारबिसगंज में काम करते हैं सफाईकर्मी, भुगतान लेता है कोई और
फारबिसगंज नगर परिषद में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नही चल रहा है। यहां माल महाराज का मिर्जा खेले होली वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
यहां कई ऐसे कर्मी हैं जिसका भुगतान नप से तो होता है लेकिन ये कर्मी असली डयूटी बाबूओं के घर बर्तन मांजने व बच्चों की देखभाल करते हैं। कई ऐसे भी कर्मी है जिनका नाम पंजियों में दर्ज है लेकिन इनका वेतन कोई और उठा रहा है। चाहे कार्यपालक पदाधिकारी हो अथवा प्रभारी प्रधान सहायक सबके सब बस स्वच्छता निरीक्षक के पल्ले सारी जवाबदेही डाल देते। जानकारी अनुसार नगर परिषद डेली वेजेज पर कार्यरत प्रदीप कुमार साह को सीवान से लाया गया है और स्पेशली ईओ के घर बच्चा खिलाते हैं। धर्मेंद्र पासवान संविदा सफाईकर्मी है मगर इनकी ड्यूटी ईओ दीपक कुमार के घर पर लगी है। स्वच्छता निरीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि नप कर्मी का काम साहेब लोगों के घर होता है और भुगतान नगर परिषद से, यह पुरानी परंपरा है। ईओ को इतना भी ख्याल नही है कि नप कार्यालय से स्वच्छता कार्यालय तक सीसीटीवी कैमरा लगा है जो इन कर्मियों की अनुपस्थिति की गवाही दे सकती है। नवीन कुमार राय दैनिक सफाई कर्मी है मगर उसे कभी भी देखा नहीं गया है। आखिर इनकी मजदूरी कौन ले रहा है। जब ईओ से पूछा गया तो कहा कि स्वच्छता निरीक्षक से पूछिए। स्वच्छता निरीक्षक ने बेबाकी से कहा कि नवीन का भुगतान उनके पिता गणेश राय उठाते हैं। श्यामलाल पासवान नामक ड्रेन कुली दीवाली तक मुख्य पार्षद के घर नौकरी करते थे लेकिन अब श्यामलाल कार्यालय के ही एक अन्य बाबू के घर ड्यूटी बजाते हंै। लोगों का कहना है कि नगर परिषद को ईओ और मुख्य पार्षद मिलकर प्राइवेट कंपनी की तरह इस्तेमाल करते है। जिस तरह से ईओ के द्वारा दो-दो कर्मियों को अपने घर मे काम करवाया जा रहा है इससे शहरवासी हैरत में है।
कहते है ईओ दीपक कुमार: सफाई कर्मी नवीन कुमार मामले में ईओ ने मामले को दिखवाने की बात कही। जब दो-दो कर्मियों को अपने घर में काम कराने और भुगतान नप से देने का कारण पूछा तो ईओ ने कहा कि उस पर निजी हमला किया जा रहा है। यहां काम करना बहुत मुश्किल है।
उन्होंने आरोप से इनकार नहीं किया और कहा कि नप में मामला किसी और का और टारगेट होते है हम। ईओ ने यह भी कहा कि उसे इस बात की आशंका थी कि उससे इस तरह का सवाल पूछा जाएगा। सवाल है इन दिनों नप में खुल्लम खुल्ला लूट तंत्र हावी है और कर्मियों का इस्तेमाल अपने निजी घर मे करते है । फिर भी उन्हें शहरवासियों के हितों का एहसास तक नही है।
स्रोत-हिन्दुस्तान