पूजा अर्चना के बाद जैन भवन में मनाया गया क्षमावाणी पर्व
दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना हुई। इसके बाद दिगंबर जैन भवन में क्षमावाणी पर्व मनाया गया। जैन मंदिर में भगवान को विराजमान करके अभिषेक एवं आरती की गई। शुद्धीकरण के बाद रत्नत्रय की माला पहनाया गया। इन तीनों क्रियाओं का सर्वप्रथम प्रारंभ कार्यकारी अध्यक्ष भागचंद जैन के परिवार की ओर से किया गया। इसके बाद सकल जैन समाज के लोग क्षमावानी पर्व मनाने के लिये जैन भवन में एकजुट हुए। इस अवसर पर जैन समाज के सभी लोग जुटे और एक दूसरे से पिछले एक साल में जाने अनजाने में जो भी गलती हुई हो इसके लिये क्षमा याचना किया गया। जिसमें पुरुष, महिला, युवा एवं बच्चे शामिल हुए। दिगंबर जैनामनाय में भाद्रपद-मास के शुक्लपक्ष की पंचमी से लेकर चवतुर्दशी तक दसलक्षण- महापर्व पूरी निष्ठा एवं समर्पण की भावना के साथ मनाया जाता है। यह पर्व उत्तम-क्षमा नामक धर्मांग से प्रारंभ होता है, एवं प्रतिदिन इसमें एक-एक धर्मांग की आराधना जुड़ती जाती है। यह अराधना की प्रक्रिया पूर्णत: व्यक्ति केंद्रित होती है, भले ही इसके आयोजन सामाजिक स्तर पर किए जाते हों क्योंकि यह अपने क्रोधादि- विकारों के परित्याग- पूर्वक क्षमा आदि धर्मांगों को अंगीकार करने से आत्मिक-शुद्धि की प्रक्रिया होने से आत्मकेंद्रित- प्रक्रिया है। जब यह प्रक्रिया पूर्ण होती है, तो अगले दिन आर्थात भाद्रपद-शुल्क पूर्णिमा को रत्नत्रय (समीचीन श्रद्धा, समीचीन ज्ञान एवं समीचीन आचरण) की विशेष- आराधना के द्वारा धार्मिक- विधि पूर्ण होती है। और उससे अगले दिन अर्थात आश्विन- कृष्ण- प्रतिपदा के दिन एक विशेष सामाजिक- आयोजन होता है, जिसे क्षमावाणी- पर्व की संज्ञा दी गई है। इस दिन सभी जिनधर्म अनुयायी भाई-बहन परस्पर क्षमायाचना करके आपसी मनोमालिन्य दूर करके सौहार्द को बढ़ातें हैं। सोशल मीडिया के जरिए भी क्षमायाचना की।
स्रोत-हिन्दुस्तान