पेड़-पौधों की कटाई से बढ़ रहा असंतुलन
किशनगंज। धरती पर घटी हरियाली से पर्यावरण प्रदूषण का संकट गहराने लगा है। पेड़-पौधे लगाने के प्रति लोगों में दरियादिली नहीं दिखाई दे रही है। हो रहे पेड़ पौधे के कटाई व संरक्षण को लेकर वन विभाग के प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। चाहे पर्यावरण दिवस हो या अन्य कोई दिवस हो इस दौरान सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के द्वारा पर्यावरण को लेकर बड़े ही तामझाम के साथ पौधारोपण से लेकर रैली व सेमिनार का आयोजन तक किया जाता है। इस दिन पर्यावरण को लेकर सारे हथकंडे अपनाए जाते हैं। लेकिन बाद में यह सारे पहल सिर्फ रस्म अदायगी बन कर रह जाता है। वहीं वनों को संरक्षण को लेकर सरकार की ओर से बनाए गए कानून का भी सही पालन नहीं हो पा रहा है। हालांकि सरकार की ओर से दस वर्ष पहले मनरेगा के तह पौधे लगाने की जिम्मेदारी पंचायतों को सौंपी गई। लेकिन यह भी विफल साबित हुआ। प्रखंड के दो चार पंचायतों को छोड़ अधिकांश पंचायतों में यह योजना फ्लॉप साबित हुई है। बुजुर्ग अब्दुल अजीज, फारुक आलम, अर्जून लाल, नूर आलम ने बताया एक जमाना था, जब क्षेत्र में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आता था। इलाके में बड़े बड़े आम लीची के बगीचे हुआ करते थे। साथ ही कटहल, जामन व पीपल के पेड़ हुआ करते थे। जो हरियाली को चार चांद लगाता था। बढ़ी आबादी व रुपये पैसे के लालच में लोगों ने पेड़ों की कटाई कर डाली। अब तो कटहल, सरीफा समेत कई अन्य किस्म के पेड़ भी कम हो गए। जिस हिसाब से पेड़ों की कटाई हुई उस हिसाब पौधे नहीं लगाए गए।