Home किशनगंज जूट की खेती से विमुख हो रहे हैं जिले के किसान

जूट की खेती से विमुख हो रहे हैं जिले के किसान

2 second read
Comments Off on जूट की खेती से विमुख हो रहे हैं जिले के किसान
0
390

जूट की खेती से विमुख हो रहे हैं जिले के किसान

कभी किशनगंज जिले की प्रमुख खेती जूट से अब जिले के किसानों का मोह धीरे-धीरे कम होने लगा है। तकरीबन 15 वर्ष पहले यहां के किसान जूट की खेती से अपनी किस्मत संवार रहे थे लेकिन जूट मिल का सपना संजोए किसानों को न तो उचित बाजार मिला और न ही आसपास के क्षेत्रों में जूट मिल खुला। जिले के लिए जूट मुख्य नगदी फसल माना जाता था।

किसान काफी लगन से इसकी खेती करते थे और यहां के किसानों की आर्थिक रीढ़ मानी जाती थी। लेकिन समय के साथ जुट की खेती में अधिक मेहनत व कम मुनाफा देख अंतत: किसान अब जूट की खेती से विमुख होकर मक्का सहित दूसरी फसल की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। किसानों मो. इम्तियाज, रिजवान, मुनव्वर, मो. गुलाम, इजहार ने बताया कि अधिक मेहनत व कम आमदनी की वजह से किसान अब जुट की खेती नहीं करना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ किशनगंजवासियों के लिए जूट मिल का सपना अधूरा ही रह गया। जिले की विकास की बात करने वाले जनप्रतिनिधियों ने आज तक किसानों के साथ हमेशा छलावा ही किया है। जुट मिल के सपने को साकार करने के लिए कई बार आश्वासन ही मिला लेकिन जनप्रतिनिधियों का आश्वासन कभी हकीकत में नहीं बदल सका। जानकारी के अनुसार वर्ष 2003 में जुट मिल का सपना साकार करने के लिए तत्कालीन सांसद सैयद शहनवाज हुसैन ने कदम जरुर बढ़ाए थे। उन्होंने किशनगंज प्रखंड के चकला पंचायत के सिमलबाड़ी में जूट मिल की आधारशिला भी रखी थी। लेकिन 16 वर्षों में जुट मिल के सपनों को यहां के कोई भी जनप्रतिनिधि हकीकत में नहीं बदल सके।

औने-पौने दाम में जूट बेचने को विवश हैं किसान: जिले के लिए कुछ वर्षों पहले जूट मुख्य नगदी फसल था। अधिकांश किसान इसकी खेती करते थे और यहां के किसानों की आर्थिक रीढ़ मानी जाती थी। लेकिन जूट मिल व उचित बाजार नहीं होने की वजह से किसान अपनी जूट की फसल को कम कीमत पर बिचौलियों से बेचने को मजबूर हो जाते थे। जिससे किसानों को उनके फसल की कीमत भी निकालना मुश्किल हो जाता था। इससे किसानों में जूट की खेती को लेकर रुझान कम होता गया। इसी वजह से जिले में जुट की खेती का रकवा कम होता गया। किसानों का कहना है कि किसानों का रुझान काफी होने की वजह उचित बाजार का नहीं मिलना, सड़नताल की कमी, एक भी जूट प्रसंस्करण इकाई या मिल का नहीं होना व खेती में लागत अधिक व लागत के अनुरूप मुनाफा का कम होना माना जा रहा है।

क्या कहते अधिकारी: इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी संतलाल साह ने बताया कि कुछ वर्षों से जुट की खेती के प्रति किसानों का रुझान कम हो रहा है। किसान मक्का सहित अन्य नगदी फसल पर जोर दे रहे हैं।

स्रोत-हिन्दुस्तान

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In किशनगंज
Comments are closed.

Check Also

पूर्णिया में 16 KG का मूर्ति बरामद, लोगों ने कहा-यह तो विष्णु भगवान हैं, अद्भुत मूर्ति देख सभी हैं दंग

पूर्णिया में 16 KG का मूर्ति बरामद, लोगों ने कहा-यह तो विष्णु भगवान हैं, अद्भुत मूर्ति देख…