
बच्चे का शव गोद में उठाए भटकता पिता! किशनगंज अस्पताल में मानवता हुई शर्मसार, सिस्टम फिर हुआ फेल
किशनगंज – एक गरीब बाप अपने डेढ़ साल के मासूम बेटे का शव गोद में लिए अस्पताल के गलियारों में भटक रहा था… न डॉक्टर संवेदनशील दिखे, न प्रशासन। बिहार सरकार के स्वास्थ्य तंत्र की पोल एक बार फिर सदर अस्पताल, किशनगंज में खुल गई। इस दृश्य ने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया, बल्कि ‘स्वास्थ्य सबके लिए’ जैसे सरकारी दावों की भी सच्चाई सामने ला दी।
कार ने छीन ली गोद की किलकारी
घटना मंगलवार सुबह की है। किशनगंज के मारवाड़ी कॉलेज के पास रहने वाले मजदूर सनोज महतो के डेढ़ साल के बेटे को एक तेज़ रफ्तार कार ने टक्कर मार दी। घायल हालत में बच्चे को एमजीएम मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एक पिता के लिए इससे बड़ा दुःख क्या हो सकता है?
न स्ट्रेचर, न संवेदना – शव गोद में लेकर पोस्टमार्टम
इसके बाद जब मासूम का शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया, तो जो हुआ वो सरकारी व्यवस्था की क्रूरता का प्रतीक बन गया। अस्पताल प्रशासन ने मृत बच्चे को ले जाने के लिए एक स्ट्रेचर तक देने से मना कर दिया।
बाप को अपने मासूम का शव गोद में उठाकर मॉर्चरी तक पैदल जाना पड़ा।
वीडियो वायरल – जनता का फूटा ग़ुस्सा
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोगों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जमकर घेरा:
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“क्या गरीब की जान की कोई कीमत नहीं?”
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“सरकारी अस्पताल में संवेदना भी खत्म हो गई है!”
प्रशासन की लीपापोती – सिविल सर्जन ने कहा ‘गलती हुई’
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए सिविल सर्जन ने कहा:
“यह घटना हमारे संज्ञान में है, यदि ऐसा हुआ है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। आगे ऐसी लापरवाही नहीं दोहराई जाएगी।“
लेकिन सवाल उठता है: क्या एक माफीनामा उस पिता के टूटे दिल का मरहम बन सकता है?
SeemanchalLive की मांग:
**- लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई हो।
हर अस्पताल में स्ट्रेचर जैसी मूलभूत सुविधा सुनिश्चित की जाए।
गरीबों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए।**
क्या बिहार का स्वास्थ्य तंत्र सिर्फ नाम का रह गया है? आपकी राय नीचे कमेंट करें या हमें seemanchallive.com पर लिखें।
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