बाढ़ में डूबी हजारों एकड़ धान की फसल
प्रखंड क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों में घट रहे जलस्तर की रफ्तार पर बारिश ने ब्रेक लगा दिया है। रविवार की अहले सुबह से बाढ़ का पानी घटने लगा था, लेकिन अचानक बारिश के कारण नदियों का जलस्तर न केवल स्थिर हो गया बल्कि कई जगहों पर बढ़ने भी लगा है। फुलौत पूरबी और फुलौत पश्चिमी, मोरसंडा, चिरौरी, पैना, लौआलगान पूरबी और लौआलगान पश्चिमी के साथ-साथ चौसा पश्चिमी पंचायत में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। बाढ़ के कारण प्रखंड क्षेत्र में फसलों को भारी नुकसान होने की बात कही जा रही है। दियारा इलाके की खेतों में बाढ़ का पानी घुसने से धान की फसल को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गयी है।
बताया गया कि इस इलाके के किसान सालों भर मुख्य रूप से मक्का और धान की फसल पर ही आश्रित रहते हैं। लेकिन इस बार बाढ़ के कारण चौसा पश्चिमी पंचायत के पुनामा बासा, सहोरा टोला, लट्टो बासा, लौआलगान पश्चिमी पंचायत के शंकरपुर टोला, अभिरामपुर टोला, तुलसीपुर, लौआलगान पूरबी पंचायत के बिनटोली, खोपड़िया, धनेशपुर, चिरौरी, पैना, चंदा, अरसंडी, बड़की बढ़ौना, छोटकी बढ़ौना, भवनपुरा टोला सहित कई अन्य जगहों में हजारों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद होने लगा है। किसान गरीब राय, संजय राय, अरविंद यादव, पंकज यादव, कैलाश मेहता, संजय यादव, भोगी मेहता, अमोद मेहता, मदन पासवान, राजेंद्र पासवान ने कहा कि इस बार धान की फसल में अधिक उपज होने की उम्मीद थी। लेकिन बाढ़ के कारण लागत खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है।
ग्रामीण विश्वनाथ यादव, रंजीत यादव, जितेंद्र सिंह बादल, विनोद सिंह, अब्बास सिद्दकी, मोयीन आलम, मो. समूल, कैलाश पासवान, मनोज पासवान ने कहा कि बाढ़ का पानी अगर दस से पन्द्रह दिन पहले आता तो धान की फसल के लिए अच्छा होता। इस समय धान की फसल में बाली निकल रही है। बाली निकलने के दौरान एक बूंद भी पानी जाने से धान की फसल बर्बाद हो जाती है। किसानों ने फसल क्षति मुआवजे की मांग प्रशासन से की है।
स्रोत-हिन्दुस्तान