
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेंगे डीएम
सिंहेश्वर, मधेपुरा | सिंहेश्वर नाथ मंदिर की नवगठित ट्रस्ट समिति भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते विवादों में घिर गई है। समिति पर वित्तीय अनियमितताओं, मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे और नियमों के विरुद्ध कार्य करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जांच अब जिला पदाधिकारी सह समिति अध्यक्ष द्वारा की जाएगी।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने 25 अप्रैल को समिति के गठन की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद से अब तक समिति के सात सदस्यों के विरुद्ध कुल 22 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। पर्षद ने इन शिकायतों पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए डीएम को जांच का जिम्मा सौंपा है।
सदस्यों पर लगे गंभीर आरोप
शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि ट्रस्ट की जमीन पर पक्का मकान और दुकानें बनाकर किराए पर दी गई हैं। कुछ सदस्य मंदिर नहीं आते, नशा करते हैं और ट्रस्ट की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं कुछ पर वित्तीय अनियमितताओं का भी आरोप है।
पर्षद के प्रशासक एवं विधि सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इन आरोपों के संबंध में जिलाधिकारी को जांच का निर्देश देते हुए सभी आरोपित सदस्यों को 30 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किया है।
समिति में कौन-कौन हैं सदस्य
नवगठित समिति में जिलाधिकारी अध्यक्ष, सीजेएम उपाध्यक्ष, तथा डीडीसी सचिव बनाए गए हैं। अन्य सदस्यों में डॉ. जवाहर पासवान (प्राचार्य, केपी कॉलेज), विजय सिंह, स्मिता सिंह, दिलीप खंडेलवाल, संजीव ठाकुर, रोशन ठाकुर, धीरेन्द्र मंडल और योगनारायण राय शामिल हैं।
स्थानीय निवासी होना अनिवार्य
धार्मिक न्यास पर्षद की अधिसूचना के अनुसार ट्रस्ट संपत्ति से लाभ लेने वाले या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की सदस्यता समाप्त होनी चाहिए। साथ ही, सदस्य बनने के लिए स्थानीय निवासी होना अनिवार्य है।
पहली बैठक परिचय सत्र बनकर रह गई
समिति की पहली बैठक 22 मई को हुई, जिसमें डीडीसी और सीजेएम शामिल नहीं हो सके। बैठक में कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया जा सका। डीएम ने बताया कि अगली बैठक जून के पहले सप्ताह में होगी।
पिछली समिति का कार्यकाल दिसंबर में हुआ था समाप्त
गौरतलब है कि मंदिर समिति का पिछला कार्यकाल 12 दिसंबर 2024 को समाप्त हो गया था। चार महीने बाद नई समिति का गठन हुआ, जिसमें पहली बार अखबार के माध्यम से सदस्यता के लिए आवेदन मांगे गए थे। कुल 45 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 11 नामों को पर्षद को भेजा गया।