
समस्तीपुर (बिहार): बिहार की पारंपरिक कला और संस्कृति एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना रही है।
इस बार चर्चा में हैं छठ महापर्व में उपयोग किए जाने वाले सूप और डगरा, जिन पर मिथिला पेंटिंग की सुंदर झलक नजर आ रही है।
समस्तीपुर के कलाकार कुंदन कुमार राय द्वारा बनाए गए ये सूप न केवल देशभर में, बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों में भी भेजे जा रहे हैं।
छठ पूजा में बिहार की कलात्मक झलक विदेशों तक
हर साल की तरह इस बार भी बिहार में छठ महापर्व की तैयारियां जोरों पर हैं।
लेकिन इस बार कुछ खास है —
मिथिला पेंटिंग से सजे सूप और डगरा अब सिर्फ बिहार के घाटों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विदेशों में बसे प्रवासी बिहारी परिवारों के छठ पर्व का हिस्सा बन चुके हैं।
समस्तीपुर के कलाकार कुंदन कुमार राय ने अपने हुनर से इन पारंपरिक वस्तुओं को एक नया रूप दिया है।
उन्होंने कहा —
“छठ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह हमारी आस्था और पहचान का प्रतीक है।
मैंने सोचा कि क्यों न इस बार परंपरा में कला का रंग भर दिया जाए — और यही विचार इन सूपों में उतर आया।”
सूपों पर मिथिला पेंटिंग की अनोखी कला
कुंदन द्वारा बनाए गए सूपों पर सूर्य, चंद्रमा, गंगा, देवी-देवता, कमल और मछली जैसे पारंपरिक प्रतीक चित्रित किए गए हैं।
मिथिला कला की खासियत है कि इसमें हर खाली जगह को रंग, रेखाओं और प्रतीकों से भर दिया जाता है।
मिथिला पेंटिंग की विशेषताएँ:
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प्राकृतिक रंगों और देसी ब्रश का उपयोग
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धार्मिक, पौराणिक और प्राकृतिक विषयों पर चित्रण
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हर कोने में डिजाइन, कोई हिस्सा खाली नहीं
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जीवंत रंग संयोजन, जो परंपरा और आधुनिकता दोनों को जोड़ता है
कुंदन कहते हैं —
“इन सूपों में मैंने सूर्य, जल, धरा और जीवन के तत्वों को मिथिला शैली में उकेरा है।
यह सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि श्रद्धा का प्रतीक है।”
रंग नहीं देख पाते, लेकिन दुनिया को रंगों से सजाया
सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि कुंदन जन्म से कलर ब्लाइंड हैं — यानी उन्हें सिर्फ काला और सफेद रंग पहचान में आता है।
फिर भी उन्होंने अपनी कल्पना और अनुभव के आधार पर इतनी सुंदर रंग योजना तैयार की है कि हर कोई दंग रह जाता है।
“मुझे कभी-कभी लोग कहते हैं कि मैं रंग नहीं देख सकता, लेकिन मैं रंगों को महसूस कर सकता हूँ।”
— कुंदन कुमार राय, कलाकार
उनकी यह कला न केवल उनके संघर्ष की कहानी कहती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रतिभा किसी सीमा में बंधी नहीं होती।
विदेशों से बढ़ी डिमांड: अमेरिका से सिंगापुर तक ऑर्डर
जैसे ही कुंदन ने अपने सूपों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, उन्हें सिडनी, सिंगापुर, मेलबर्न और न्यूयॉर्क से ऑर्डर मिलने लगे।
विदेशों में बसे प्रवासी बिहारी परिवारों ने इन्हें “Home from Home” भावना के साथ अपनाया।
“मुझे खुद अचरज हुआ जब सिंगापुर से पहला ऑर्डर आया। अब तक दर्जनों सूप विदेशों में भेजे जा चुके हैं।”
— कुंदन कुमार राय
कितनी है सूपों और डगरा की कीमत?
कुंदन के अनुसार, हर सूप की कीमत ₹1,500 से ₹5,000 तक है।
कीमत डिजाइन, मेहनत और कलात्मक जटिलता के आधार पर तय की जाती है।
डिजाइन का प्रकार | कीमत (रुपये में) | विशेषता |
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साधारण पेंटिंग वाला सूप | ₹1,500 – ₹2,000 | बुनियादी मिथिला आर्ट और सीमित रंग |
मध्यम डिजाइन | ₹2,500 – ₹3,500 | देवताओं और प्राकृतिक प्रतीकों का मिश्रण |
विशेष कस्टमाइज्ड सूप | ₹4,000 – ₹5,000 | ऑर्डर के अनुसार पेंटिंग और निजी संदेश |
सूप और डगरा का धार्मिक महत्व
सूप छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
इसमें पूजा की सामग्री — गंगाजल, फल, फूल, और ठेकुआ — रखी जाती है।
मान्यता है कि बिना सूप के छठ पूजा अधूरी मानी जाती है।
सूप प्रकृति के तत्वों से जुड़ा होता है —
यह बांस या नरकट से बना होता है, जो स्थायित्व और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक है।
छठ पूजा 2025 की तिथियाँ
तिथि | पर्व |
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25 अक्टूबर 2025 | नहाय-खाय |
26 अक्टूबर 2025 | खरना |
27 अक्टूबर 2025 | संध्या अर्घ्य |
28 अक्टूबर 2025 | उषा अर्घ्य और समापन |
क्या है कलर ब्लाइंडनेस?
कलर ब्लाइंडनेस या रंग अंधता एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति कुछ रंगों के बीच अंतर नहीं कर पाता।
यह आमतौर पर आनुवंशिक (genetic) होती है और लाल-हरा या नीला-पीला रंग पहचानने में कठिनाई पैदा करती है।
फिर भी कुंदन जैसे कलाकार यह साबित करते हैं कि रंगों को देखना जरूरी नहीं, उन्हें महसूस करना ही कला है।
विदेशों में क्यों पसंद आ रहे हैं ये सूप?
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भारतीय परंपरा और कला का संगम
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हैंडमेड और इको-फ्रेंडली उत्पाद
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कलर ब्लाइंड कलाकार की प्रेरक कहानी
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छठ पूजा की सांस्कृतिक कनेक्टिविटी
इन सूपों को विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय छठ पूजा के दौरान घर के मंदिर में सजावट और उपहार स्वरूप उपयोग कर रहे हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. सूप और डगरा कहाँ बनते हैं?
बिहार के समस्तीपुर जिले में, कलाकार कुंदन कुमार राय द्वारा।
2. इन सूपों की खासियत क्या है?
इनमें मिथिला पेंटिंग की पारंपरिक कला उकेरी गई है, जो प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती है।
3. ये सूप किन देशों में भेजे जा रहे हैं?
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और अन्य देशों में।
4. इनकी कीमत कितनी है?
₹1,500 से ₹5,000 के बीच, डिजाइन के अनुसार।
5. क्या कलाकार कलर ब्लाइंड हैं?
हां, कुंदन कुमार राय जन्म से कलर ब्लाइंड हैं, लेकिन रंगों का कुशल उपयोग करते हैं।
6. क्या ये सूप ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं?
हां, सोशल मीडिया और आर्ट प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से इनके ऑर्डर लिए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
बिहार के समस्तीपुर से निकलकर विदेशों तक पहुँचे ये मिथिला पेंटिंग वाले सूप न सिर्फ छठ पर्व की परंपरा को जीवित रख रहे हैं, बल्कि यह भी साबित कर रहे हैं कि भारतीय कला की कोई सीमाएँ नहीं होतीं।
कलर ब्लाइंड कलाकार कुंदन कुमार राय की यह पहल न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि प्रेरणा और नवाचार का उदाहरण भी है।
🔗 संदर्भ स्रोत: Bihar Tourism Official Website