
बिहार की राजनीति ने आज़ादी के बाद कई दिग्गज नेताओं को जन्म दिया। इनमें से एक नाम है दीपू नारायण सिंह का, जिन्होंने 1961 में बिहार के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला।
हालांकि उनका कार्यकाल छोटा रहा, लेकिन वे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे और राज्य की राजनीति में उनकी अहम भूमिका थी।
शुरुआती जीवन
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दीपू नारायण सिंह का जन्म बिहार के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था।
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वे बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में अच्छे थे और राजनीति में उनकी रुचि थी।
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आज़ादी के समय उन्होंने कांग्रेस पार्टी से जुड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में भी योगदान दिया।
राजनीतिक करियर
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स्वतंत्रता संग्राम के बाद दीपू नारायण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया।
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वे बिहार विधान सभा के सदस्य चुने गए और अपनी सादगी, ईमानदारी और प्रशासनिक समझदारी के लिए जाने गए।
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पार्टी के भीतर उनकी छवि एक सुलझे हुए और साफ-सुथरे नेता की रही।
मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल (1961)
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1961 में बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह का निधन हो गया।
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इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने दीपू नारायण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया।
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उनका कार्यकाल बहुत ही छोटा रहा — केवल कुछ ही दिनों तक वे मुख्यमंत्री रहे।
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इस दौरान उन्होंने प्रशासन को स्थिर रखने और कांग्रेस पार्टी की एकता बनाए रखने का काम किया।
चुनौतियाँ और परिस्थितियाँ
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उस समय बिहार की राजनीति में अस्थिरता का माहौल था।
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कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाज़ी और नेतृत्व की लड़ाई बढ़ रही थी।
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ऐसे समय में दीपू नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री पद संभालकर स्थिति को संभालने की कोशिश की।
योगदान और विरासत
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भले ही दीपू नारायण सिंह का कार्यकाल छोटा था, लेकिन उनकी छवि आज भी एक ईमानदार और सच्चे जनसेवक की रही।
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उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर और मुख्यमंत्री के रूप में काम करके बिहार की राजनीति में अपना नाम दर्ज कराया।
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उन्हें बिहार के इतिहास में दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में याद किया जाता है।
FAQs: दीपू नारायण सिंह
Q1. दीपू नारायण सिंह कौन थे?
👉 वे बिहार के दूसरे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 1961 में पद संभाला।
Q2. उनका कार्यकाल कितना लंबा था?
👉 केवल कुछ दिनों के लिए, 1961 में।
Q3. उन्होंने किस राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व किया?
👉 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
Q4. उन्हें बिहार की राजनीति में क्यों याद किया जाता है?
👉 क्योंकि वे स्वतंत्रता सेनानी और ईमानदार राजनेता थे, जिन्होंने कठिन समय में नेतृत्व किया।
Q5. बिहार के पहले मुख्यमंत्री कौन थे?
👉 श्री कृष्ण सिंह (1946–1961)।
निष्कर्ष
दीपू नारायण सिंह का कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उनका नाम बिहार की राजनीति में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाता है।
उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया बल्कि मुख्यमंत्री के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई।
उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि नेतृत्व का महत्व सिर्फ समय की लंबाई से नहीं, बल्कि ईमानदारी और समर्पण से तय होता है।