
जयप्रकाश नारायण और संपूर्ण क्रांति: बिहार की आवाज़, भारत का जागरण
भारत में 1974 में जब पूरे देश में महँगाई और भ्रष्टाचार का बोलबाला था, तो ऐसे में बिहार के संघर्षशील लोगों ने अपनी आवाज़ उठाई और उसे नेतृत्व दिया जयप्रकाश नारायण ने। आज जब हम भारतीय राजनीति की बात करते हैं, तो संपूर्ण क्रांति (Total Revolution) का नाम आता है, जो बिहार की धरती से पूरे देश में फैल गया।
संपूर्ण क्रांति का अर्थ:
जयप्रकाश नारायण का आंदोलन केवल एक सरकार के खिलाफ विरोध नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक बदलाव की मांग थी। उनका नारा था:
“संपूर्ण क्रांति अब नारा है, भावी इतिहास हमारा है!”
यह आंदोलन चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव की मांग करता था:
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राजनीतिक क्रांति: सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ साफ-सुथरी राजनीति की आवश्यकता।
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सामाजिक क्रांति: जातिवाद और असमानता को समाप्त करना।
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आर्थिक क्रांति: गरीबों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा।
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शैक्षिक क्रांति: शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करना और आम आदमी तक पहुंचाना।
बिहार में आंदोलन की शुरुआत:
1974 में जब बिहार के छात्र महँगाई, बेरोज़गारी, और भ्रष्टाचार से परेशान हो गए, तो जयप्रकाश नारायण ने उन्हें एक दिशा दी। पटना विश्वविद्यालय और आसपास के कॉलेजों के छात्र सड़कों पर उतर आए। बिहार से शुरू होकर यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया।
यह आंदोलन अहिंसक था, लेकिन इसके परिणामों ने पूरी राजनीति में एक उथल-पुथल मचा दी। जयप्रकाश नारायण ने केवल छात्रों को प्रेरित किया, बल्कि सामान्य नागरिकों को भी आंदोलित किया। उन्होंने सरकार को घेरते हुए लोकतंत्र के मूल्यों को पुनः स्थापित करने का आह्वान किया।
संपूर्ण क्रांति और आपातकाल:
बिहार में बढ़ते आंदोलनों को देखकर केंद्र सरकार ने 1975 में आपातकाल (Emergency) लागू कर दिया। जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उनका संदेश और उनकी विचारधारा देशभर में फैल चुकी थी।
इसका नतीजा यह हुआ कि 1977 में पहली बार कांग्रेस को हराकर गैर-कांग्रेसी सरकार सत्ता में आई, जो भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक पल था।
संपूर्ण क्रांति की खास बातें:
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यह आंदोलन मुख्य रूप से छात्रों और युवाओं द्वारा नेतृत्व किया गया।
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यह गैर-हिंसक था, लेकिन इसके परिणाम देशभर में दिखे।
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इस आंदोलन से कई बड़े नेता जैसे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार निकले।
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यह आंदोलन भारतीय राजनीति में संविधान और लोकतंत्र के प्रति जागरूकता लाया।
बिहार का ऐतिहासिक योगदान:
जयप्रकाश नारायण का संपूर्ण क्रांति आंदोलन न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ। इस आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया कि बिहार की धरती हमेशा संघर्ष, शिक्षा और जागरूकता का केंद्र रही है।
जयप्रकाश नारायण का आंदोलन आज भी लोकतंत्र और न्याय की शक्ति के रूप में याद किया जाता है। बिहार की धरती ने हमेशा भारतीय राजनीति को नया दिशा देने का काम किया है। संपूर्ण क्रांति ने न केवल भारत की राजनीतिक दशा बदली, बल्कि यह दर्शाया कि जब देश का नागरिक जागरूक हो, तो वह अपनी आवाज़ से बदलाव ला सकता है।