
1963 में जब बिहार की राजनीति नई दिशा में बढ़ रही थी, तब कृष्ण बल्लभ सहाय ने राज्य के चौथे मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली।
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और उन्होंने 1963 से 1967 तक राज्य का नेतृत्व किया।
शुरुआती जीवन
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जन्म: 28 दिसंबर 1898, बिहार के शेखपुरा ज़िला
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शिक्षा: उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।
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स्वतंत्रता आंदोलन से गहराई से जुड़े और कांग्रेस संगठन के मजबूत स्तंभ बने।
राजनीतिक करियर
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स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी।
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कांग्रेस पार्टी से जुड़े और कई बार विधायक रहे।
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प्रशासनिक और संगठनात्मक क्षमता के कारण उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया।
मुख्यमंत्री कार्यकाल (1963–1967)
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उन्होंने 1963 में विनोदानंद झा के बाद मुख्यमंत्री का पद संभाला।
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उनका कार्यकाल लगभग चार वर्षों तक चला।
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इस दौरान उन्होंने कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया।
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उन्होंने बिहार को विकास की ओर ले जाने की कोशिश की।
मुख्य योगदान
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कृषि सुधार: किसानों के लिए योजनाएँ शुरू कीं और सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया।
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ग्रामीण विकास: गाँवों में सड़क और शिक्षा की सुविधाओं को बेहतर करने का प्रयास।
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राजनीतिक स्थिरता: लगातार चार साल तक मुख्यमंत्री रहकर राजनीतिक स्थिरता बनाए रखी।
चुनौतियाँ
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कांग्रेस पार्टी में गुटबाज़ी और नेतृत्व संघर्ष उनके समय में भी जारी रहा।
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गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याएँ गहरी थीं, जिनसे पूरी तरह निपटना कठिन था।
विरासत
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कृष्ण बल्लभ सहाय को बिहार के इतिहास में एक ईमानदार और मेहनती मुख्यमंत्री के रूप में याद किया जाता है।
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उन्होंने किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कई काम किए।
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उनके कार्यकाल के बाद बिहार की राजनीति और अस्थिर होती गई।
FAQs: कृष्ण बल्लभ सहाय
Q1. कृष्ण बल्लभ सहाय कौन थे?
👉 वे बिहार के चौथे मुख्यमंत्री थे (1963–1967)।
Q2. उन्होंने किस पार्टी का प्रतिनिधित्व किया?
👉 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
Q3. उनका कार्यकाल कितना लंबा था?
👉 लगभग 4 साल (1963–1967)।
Q4. उनके मुख्य योगदान क्या थे?
👉 कृषि सुधार, सिंचाई परियोजनाएँ और ग्रामीण विकास।
Q5. वे किस जिले से आते थे?
👉 शेखपुरा ज़िले से।
निष्कर्ष
कृष्ण बल्लभ सहाय का कार्यकाल बिहार की राजनीति में विकास और स्थिरता के लिए जाना जाता है।
उन्होंने किसानों, ग्रामीणों और शिक्षा पर जोर देकर बिहार को नई दिशा देने का प्रयास किया।
उनकी ईमानदार छवि और नेतृत्व क्षमता आज भी बिहार के इतिहास में दर्ज है।