Home हमारा बिहार SPECIAL REPORT | ललित नारायण मिश्र: स्वतंत्रता सेनानी से रेल मंत्री तक — मिथिला के विकास पुरुष की कहानी

SPECIAL REPORT | ललित नारायण मिश्र: स्वतंत्रता सेनानी से रेल मंत्री तक — मिथिला के विकास पुरुष की कहानी

13 second read
Comments Off on SPECIAL REPORT | ललित नारायण मिश्र: स्वतंत्रता सेनानी से रेल मंत्री तक — मिथिला के विकास पुरुष की कहानी
0
10

ललित नारायण मिश्र (1923–1975): स्वतंत्रता सेनानी, दूरदर्शी नेता और मिथिला के विकास पुरुष

नई दिल्ली/सुपौल:
भारत के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और भारत के रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र का नाम भारतीय राजनीति के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
वे न केवल एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि मिथिलांचल क्षेत्र के विकास के सशक्त प्रतीक भी माने जाते हैं।


प्रारंभिक जीवन: स्वतंत्रता की ज्वाला से शुरू हुआ सफर

ललित नारायण मिश्र का जन्म 2 फरवरी 1923 को बिहार के सुपौल जिले के बलुआ गांव में हुआ था।
उनका परिवार एक शिक्षित और समाजसेवी पृष्ठभूमि से था।
बचपन से ही उनमें देशभक्ति और नेतृत्व के गुण दिखाई देने लगे थे।

उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
उस समय वे मात्र 19 वर्ष के थे, लेकिन युवाओं को संगठित कर
ब्रिटिश शासन के खिलाफ मोर्चा खोला।

“देश की आज़ादी के लिए हम सब कुछ त्याग सकते हैं, लेकिन आत्मसम्मान नहीं।”
ललित नारायण मिश्र, 1942 आंदोलन के दौरान अपने भाषण में


राजनीति में प्रवेश और प्रारंभिक योगदान

आज़ादी के बाद, ललित नारायण मिश्र ने कांग्रेस पार्टी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया।
1951 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए, और 1957 में जवाहरलाल नेहरू के संसदीय सचिव नियुक्त किए गए।

उन्होंने बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा के साथ निकटता से काम किया।
उनकी प्रशासनिक समझ और राजनीतिक सूझबूझ ने उन्हें नई दिल्ली की सत्ता के गलियारों तक पहुंचा दिया।

उनकी पहचान एक ईमानदार, दूरदर्शी और संगठन कुशल नेता के रूप में बनने लगी थी।


मिथिलांचल के विकास में ऐतिहासिक योगदान

ललित नारायण मिश्र को ‘मिथिला का मसीहा’ कहा जाता है।
उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दिलवाई, जो आज भी बिहार की जीवनरेखा मानी जाती हैं।

🛤️ रेलवे नेटवर्क का विस्तार

  • झंझारपुर–लौकहा रेल लाइन और
    भपटियाही–फारबिसगंज रेल परियोजना के सर्वेक्षण को स्वीकृति दिलाई।

  • उन्होंने कोशी क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई।

💧 कोशी समझौते में प्रमुख भूमिका

  • उन्होंने भारत–नेपाल कोशी समझौते में महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभाई।

  • इस समझौते से बिहार के उत्तरी इलाके में जल प्रबंधन और सिंचाई प्रणाली में सुधार हुआ।

🎨 मिथिला चित्रकला को वैश्विक पहचान

  • ललित नारायण मिश्र ने मिथिला पेंटिंग (Madhubani Art) को राष्ट्रीय मंच पर जगह दिलाई।

  • उनके प्रयासों से यह कला भारत की सांस्कृतिक धरोहर बनी और आज विश्वभर में प्रसिद्ध है।

📚 मैथिली भाषा का सम्मान

  • 1962–64 के बीच उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर
    मैथिली को साहित्य अकादमी की मान्यता दिलाने में सफलता पाई।


रेल मंत्री के रूप में योगदान (1973–1975)

ललित नारायण मिश्र को 1973 में भारत सरकार के रेल मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
रेल मंत्रालय के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए —

  • ग्रामीण इलाकों में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नई परियोजनाएं शुरू कीं।

  • रेलवे में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की नीति लागू की।

  • रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए।

उनके नेतृत्व में रेल मंत्रालय ने
रेल भारत की रीढ़ है, इसका विकास राष्ट्र का विकास है
के सिद्धांत पर काम किया।


समस्तीपुर बम विस्फोट और दुखद अंत

2 जनवरी 1975 को ललित नारायण मिश्र समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर
एक नए रेलवे प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर रहे थे।
इसी दौरान एक भीषण बम विस्फोट हुआ, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

उन्हें तत्काल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) ले जाया गया,
जहां 3 जनवरी 1975 को उन्होंने अंतिम सांस ली।

उनकी मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर दिया।
बाद में इस घटना की जांच CBI को सौंपी गई,
जो आज भी एक राजनीतिक रहस्य के रूप में दर्ज है।

“ललित बाबू केवल रेल मंत्री नहीं, जनता के मंत्री थे।”
इंदिरा गांधी, श्रद्धांजलि सभा में


विरासत और स्मृति

  • बिहार में दरभंगा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर
    “ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU)” रखा गया।

  • सुपौल, दरभंगा और मधुबनी के कई संस्थान उनके नाम पर हैं।

  • उनकी स्मृति में ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट और
    रेल मंत्रालय की कई परियोजनाएं शुरू की गईं।


उनकी हत्या की जांच और हालिया घटनाक्रम

ललित नारायण मिश्र की हत्या से जुड़ा मामला
लगभग पांच दशक बाद भी न्यायिक प्रक्रिया में लंबित है।
हाल ही में उनके पोते द्वारा नई जांच की याचिका दायर की गई है।

परिवार का आरोप है कि

“हत्या के पीछे साजिश थी, जिसकी पूरी सच्चाई कभी सामने नहीं आई।”


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. ललित नारायण मिश्र कौन थे?
A1. वे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, कांग्रेस नेता और 1973–75 के रेल मंत्री थे।

Q2. उनका जन्म कहां हुआ था?
A2. बिहार के सुपौल जिले के बलुआ गांव में, 2 फरवरी 1923 को।

Q3. मिथिलांचल के विकास में उनका योगदान क्या था?
A3. उन्होंने रेल, शिक्षा, कला और भाषा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया,
विशेष रूप से मैथिली भाषा और मिथिला चित्रकला को बढ़ावा दिया।

Q4. उनकी मृत्यु कैसे हुई?
A4. 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम विस्फोट में घायल होने के बाद
3 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई।

Q5. उनके नाम पर कौन-कौन से संस्थान हैं?
A5. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, LNM कॉलेज और कई सरकारी योजनाएं उनके नाम पर हैं।

Q6. क्या उनकी हत्या की जांच अभी भी चल रही है?
A6. हां, मामला अब भी न्यायिक प्रक्रिया में है, और परिवार ने हाल ही में पुनः जांच की मांग की है।

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In हमारा बिहार
Comments are closed.

Check Also

SPECIAL REPORT | बिहार का गौरवशाली इतिहास: नवपाषाण युग से आधुनिक भारत तक की सभ्यता की कहानी

बिहार का इतिहास: नवपाषाण युग से मौर्य और गुप्त साम्राज्य तक — सभ्यता, संस्कृति और गौरव की …