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गांधी जी की चंपारण यात्रा का इतिहास – भारत में सत्याग्रह की पहली परीक्षा

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गांधी जी की चंपारण यात्रा का इतिहास – भारत में सत्याग्रह की पहली परीक्षा

(एक विस्तृत और शोधपूर्ण लेख)

परिचय

1917 में चंपारण, बिहार की धरती पर घटित एक घटना ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। यह गांधी जी की भारत में पहली राजनीतिक भागीदारी थी, जिसमें उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। यह न केवल अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक बड़ा कदम था, बल्कि यह आंदोलन भारतीयों के मन में आत्मविश्वास का बीज बोने वाला सिद्ध हुआ।

चंपारण की सामाजिक और आर्थिक स्थिति

चंपारण बिहार के पश्चिमी भाग में स्थित एक ग्रामीण इलाका था। यहाँ के अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर थे। ब्रिटिश सरकार ने यहाँ के जमींदारों के साथ मिलकर एक ‘तीनकठिया प्रणाली’ लागू की थी। इसके अनुसार, किसानों को अपनी ज़मीन का एक-तिहाई हिस्सा नील की खेती के लिए देना पड़ता था — वो भी मजबूरी में और बिना उचित मुआवज़े के।

❗ मुख्य समस्याएं थीं:

  • नील की जबरन खेती

  • ज़बरदस्ती लगान वसूली

  • किसानों पर अत्याचार व दमन

  • कोई कानूनी सहारा न होना

राजकुमार शुक्ल की भूमिका

राजकुमार शुक्ल एक स्थानीय किसान और गांधी जी के आंदोलन के मूल प्रेरक थे। उन्होंने गांधी जी को कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान मिलकर चंपारण की समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने गांधी जी से बार-बार निवेदन किया कि वे चंपारण आकर किसानों की पीड़ा को स्वयं देखें। अंततः गांधी जी ने हामी भर दी।

गांधी जी का चंपारण आगमन (अप्रैल 1917)

गांधी जी 10 अप्रैल 1917 को मोतिहारी पहुँचे। उनके पहुँचते ही ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें आदेश दिया कि वे 24 घंटे में चंपारण छोड़ दें। गांधी जी ने इसका शांतिपूर्वक विरोध किया और अदालत में कहा:

“मैं कानून का सम्मान करता हूँ, परंतु अन्याय का पालन नहीं करूँगा।”

इस वक्तव्य ने जनता में गांधी जी के प्रति विश्वास और उत्साह भर दिया। लोग बड़ी संख्या में उनके साथ जुड़ने लगे।

सत्याग्रह की प्रक्रिया और गतिविधियाँ

गांधी जी ने चंपारण में डेरा डालकर गाँव-गाँव जाकर किसानों से जानकारी इकट्ठी की। उन्होंने हज़ारों किसानों के बयान दर्ज किए और एक रिपोर्ट तैयार की।
साथ ही उन्होंने वहां बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर भी काम शुरू किया।

गांधी जी के साथ जुड़े प्रमुख सहयोगी:

  • डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

  • आचार्य कृपलानी

  • मजहरुल हक

  • ब्रिज किशोर प्रसाद

ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया और जीत

जनता और गांधी जी के शांतिपूर्ण आंदोलन के दबाव में आकर ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा। उन्होंने एक जांच समिति बनाई जिसमें गांधी जी को भी सदस्य बनाया गया। समिति की सिफारिशों पर अमल करते हुए:

  • तीनकठिया प्रणाली समाप्त की गई

  • किसानों को नील की खेती से छुटकारा मिला

  • कुछ किसानों को मुआवज़ा भी मिला

चंपारण सत्याग्रह का ऐतिहासिक महत्व

बिंदु विवरण
🔹 भारत में पहला सत्याग्रह गांधी जी का पहला राजनीतिक प्रयोग
🔹 जनता में जागरूकता किसानों ने अन्याय के विरुद्ध बोलना सीखा
🔹 गांधी जी की पहचान उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नेता के रूप में मान्यता मिली
🔹 अहिंसात्मक संघर्ष भारत की आज़ादी का आधार बना

चंपारण के बाद का प्रभाव

चंपारण आंदोलन के बाद गांधी जी का प्रभाव पूरे देश में फैल गया। उन्होंने आने वाले वर्षों में:

  • 1919: रॉलेट एक्ट विरोध

  • 1920: असहयोग आंदोलन

  • 1930: नमक सत्याग्रह

  • 1942: भारत छोड़ो आंदोलन

इन सभी आंदोलनों की नींव चंपारण में रखी गई थी।

निष्कर्ष

चंपारण यात्रा केवल किसानों की जीत नहीं थी, यह भारतीय जनता की आत्मा की जागृति थी। गांधी जी ने दिखाया कि बिना हथियार उठाए भी अत्याचारी शासन को चुनौती दी जा सकती है। चंपारण भारत में अहिंसात्मक क्रांति की पहली रोशनी था।

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