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राम और रावण~रामलीला का अर्थ और रावण दहन: जीवन और मृत्यु की लीला

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राम और रावण~रामलीला का अर्थ और रावण दहन: जीवन और मृत्यु की लीला

लेखक: प्रदीप कुमार नायक, स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार

भारत की सांस्कृतिक धरोहर में राम और रावण केवल पात्र नहीं हैं, बल्कि जीवन और मृत्यु, अच्छाई और बुराई, संघर्ष और सहयोग का अद्भुत प्रतीक हैं। रामलीला और रावण दहन के पीछे छिपा संदेश यह है कि जीवन महज एक लीला (नाटक) है, जहां वैमनस्य वास्तविक नहीं, केवल अभिनय है।


रामलीला का आध्यात्मिक महत्व

रामलीला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जीवन को समझने का एक दृष्टिकोण भी है। इसमें राम और रावण को विरोधी नहीं बल्कि सह-अभिनेता माना गया है। यही कारण है कि इस कथा को इतिहास नहीं, बल्कि पुराण कहा गया है।


राम और रावण – विरोध या सहयोग?

राम और रावण को अक्सर शत्रु के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन वास्तव में दोनों पात्र सहयोगी हैं। वे एक ही मंच पर अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते हैं। जिस प्रकार नाटक में नायक और खलनायक बिना वैमनस्य के अभिनय करते हैं, उसी प्रकार जीवन भी एक नाटक है।


पुराण बनाम इतिहास का अंतर

  • इतिहास: साधारण मनुष्यों की घटनाएँ, संघर्ष और वैमनस्य से भरा हुआ।

  • पुराण: लीला, नाटक और अभिनय – जहां असली शत्रुता नहीं, केवल अभिनय है।

यही कारण है कि रामायण को पुराण कहा गया है।


कथा का पूर्वनिर्धारण – वाल्मीकि और रामायण

कथा के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि ने राम के जन्म से पहले ही रामायण की रचना कर दी थी। इस दृष्टांत का अर्थ यह है कि जैसे नाटक की पटकथा पहले लिखी जाती है और बाद में अभिनय होता है, वैसे ही जीवन भी पहले से निर्धारित है।


जीवन को नाटक मानने का अर्थ

यदि मनुष्य समझ ले कि जीवन केवल नाटक है, तो वह चिंता और बोझ से मुक्त हो सकता है। जैसे रामलीला का हर पात्र अपनी भूमिका निभाता है, वैसे ही मनुष्य को भी अपना अभिनय पूर्ण करना चाहिए।


रामलीला में अभिनय की भूमिका

राम का अभिनय हो या रावण का, महत्व अभिनय की कुशलता का है। रावण की भूमिका निभाने वाले को दंड नहीं, बल्कि सम्मान और पुरस्कार मिलता है। यही जीवन का सत्य है – भूमिका कोई भी हो, अभिनय सच्चा होना चाहिए।


माया और जीवन का खेल

भारतीय दर्शन में संसार को माया कहा गया है। इसका अर्थ है कि जीवन को स्वप्न या नाटक की तरह स्वीकार करना चाहिए। यदि हम इसे पूर्ण सत्य मान लेंगे, तो भीतर का ब्रह्म खो देंगे।


दशहरा और रावण दहन की परंपरा

हर साल विजयादशमी पर रावण दहन का आयोजन किया जाता है, लेकिन यह परंपरा उतनी पुरानी नहीं है जितना लोग मानते हैं।

  • 1948, रांची: पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने पहली बार रावण दहन किया।

  • इसके बाद दिल्ली और नागपुर में यह परंपरा फैल गई।

  • आज यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन चुका है।


राम और रावण के पात्र से सीख

राम और रावण दोनों ही पात्र जीवन का गहरा संदेश देते हैं। राम आदर्श पुरुष हैं, जबकि रावण ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है। दोनों का उद्देश्य एक ही है – जीवन को समझाना।


समाज के लिए संदेश

रामलीला और रावण दहन हमें सिखाते हैं कि जीवन को वैमनस्य रहित लीला मानकर जीना चाहिए। संघर्ष होना स्वाभाविक है, लेकिन उसमें घृणा नहीं होनी चाहिए।


निष्कर्ष

राम और रावण की कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन महज एक अभिनय है। विजयादशमी का त्यौहार केवल बुराई पर अच्छाई की जीत नहीं, बल्कि जीवन को नाटक और माया मानकर सहजता से जीने का संदेश है।


❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. रामलीला का असली अर्थ क्या है?
रामलीला का अर्थ जीवन को नाटक और लीला के रूप में देखना है।

Q2. रावण दहन की शुरुआत कब हुई?
इसकी शुरुआत 1948 में रांची में हुई थी।

Q3. राम और रावण को विरोधी क्यों कहा जाता है?
कथा में वे विरोधी दिखते हैं, लेकिन वास्तव में दोनों सहयोगी पात्र हैं।

Q4. रामायण को पुराण क्यों माना जाता है?
क्योंकि इसमें वैमनस्य वास्तविक नहीं, बल्कि नाटक का हिस्सा है।

Q5. रावण की भूमिका निभाने वाले का सम्मान क्यों किया जाता है?
क्योंकि अभिनय ही असली कला है, चाहे वह राम का हो या रावण का।

Q6. दशहरा का मुख्य संदेश क्या है?
यह अच्छाई की जीत और जीवन को माया समझकर जीने का संदेश देता है।

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