
भारत की आज़ादी से पहले और बाद, बिहार की राजनीति में एक नाम सबसे ज्यादा सम्मान से लिया जाता है – श्री कृष्ण सिंह। इन्हें लोग प्यार से “श्री बाबू” कहते थे। वे 1946 से 1961 तक लगातार मुख्यमंत्री रहे और इतने लंबे समय तक सत्ता संभालने वाले बिहार के अकेले नेता बने।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
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जन्म: 21 अक्टूबर 1887, नवादा ज़िला (बिहार)
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शिक्षा: पटना कॉलेज और कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।
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बचपन से ही तेजस्वी और राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित।
श्री बाबू का जीवन गांधीजी और स्वतंत्रता आंदोलन से गहराई से जुड़ा रहा। उन्होंने वकालत छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
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स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी।
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बिहार और झारखंड के किसानों के लिए आवाज उठाई।
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कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता बने और 1937 में बिहार के पहले प्रीमियर (प्रधान) बने।
बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उपलब्धियाँ
श्री बाबू का मुख्यमंत्री कार्यकाल बिहार के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है।
1. शिक्षा में सुधार
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पटना विश्वविद्यालय को मजबूत आधार दिया।
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स्कूल और कॉलेजों की संख्या बढ़ाई।
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गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्रों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया।
2. उद्योग और विकास
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जमशेदपुर और धनबाद क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा।
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सिंचाई और बिजली परियोजनाओं की शुरुआत।
3. सामाजिक सुधार
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जातिवाद और सामंती परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाई।
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दलितों और पिछड़ों को सम्मान दिलाने की दिशा में काम किया।
4. राजनीतिक स्थिरता
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लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री रहकर बिहार की राजनीति को स्थिरता दी।
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आज़ादी के बाद के कठिन दौर में राज्य को मजबूत दिशा दी।
व्यक्तित्व और लोकप्रियता
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लोगों में इन्हें “श्री बाबू” के नाम से जाना जाता था।
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साधारण जीवनशैली, ईमानदारी और कठोर निर्णय लेने की क्षमता उनकी पहचान थी।
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बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति पर गहरा असर डाला।
मृत्यु और विरासत
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31 जनवरी 1961 को उनका निधन हुआ।
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उनकी मृत्यु के बाद बिहार ने अपना एक सच्चा जननायक खो दिया।
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आज भी उनके नाम पर कई संस्थान, सड़के और स्मारक मौजूद हैं।
FAQs: श्री कृष्ण सिंह के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: श्री कृष्ण सिंह कौन थे?
वे बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे और 1946 से 1961 तक लगातार मुख्यमंत्री रहे।
Q2: इन्हें “श्री बाबू” क्यों कहा जाता था?
उनकी सादगी, ईमानदारी और जनता के बीच लोकप्रियता के कारण लोग उन्हें प्यार से “श्री बाबू” कहते थे।
Q3: श्री कृष्ण सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या थी?
शिक्षा सुधार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना।
Q4: उन्होंने कितने समय तक मुख्यमंत्री पद संभाला?
लगातार 15 साल (1946–1961) तक मुख्यमंत्री रहे।
Q5: श्री कृष्ण सिंह की मृत्यु कब हुई?
31 जनवरी 1961 को।
Q6: आज उनकी विरासत किस रूप में जीवित है?
उनके नाम पर संस्थान, स्मारक और उनके कार्यों से प्रेरित सामाजिक आंदोलन आज भी जीवित हैं।
निष्कर्ष
श्री कृष्ण सिंह केवल बिहार के पहले मुख्यमंत्री ही नहीं थे, बल्कि वे एक दूरदर्शी नेता भी थे जिन्होंने शिक्षा, उद्योग और सामाजिक सुधारों के जरिए राज्य की नींव मजबूत की। उनकी ईमानदारी, संघर्ष और जनसेवा आज भी नेताओं और जनता के लिए प्रेरणा का स्रोत है।