
पूर्णिया जिला की आखिरी स्वतंत्रता सेनानी चल बसी। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली और गरीबों की रहनूमा के तौर पर सुमित्रा देवी की पहचान थी। बिहार में आमलोगों की प्रतिनिधित्व कर चुकी स्वतंत्रता सेनानी सुमित्रा देवी करीब सौ वर्ष की आयु में संसारिक दुनिया छोड़ गयी। उनका निधन बनमनखी प्रखंड अन्तर्गत रामनगर फरसाही मिलिक पंचायत के हरपटी गांव वार्ड नबंर-6 के अपने पृतक आवास पर गुरुवार को संध्या 4.30 बजे हुआ। लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया। वे अपने पीछे एक पुत्र एवं चार पुत्री से भरा-पूरा परिवार छोड़ गयी। उनके निधन खबर आग की तरह फैल गयी। निधन की खबर मिलते ही संगे-सबंधियों, शुभचिंतकों, समाजसेवियों, बुद्धिजिवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों का उनके अंतिम दर्शन के लिए तांता लगा रहा। उनके पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार उनके पृतक गांव में शनिवार को सुबह दस बजे दिन में किया जाएगा। उनके दामाद नित्यानंद सिन्हा ने बताया कि आजादी के दौरान जेल भरो आंदोलन में सुमित्रा देवी जेल गयी थी। इसके बाद लगातार वह आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहते हुए सहयोग करती रही। गुप्त रूप से भी आंदोलनों में वह भाग लेती थी। अग्रेजों के गोलियों की शिकार भी हुई, लेकिन वह बाल-बाल बच गयी थी। वह 1952 में चौथम विधानसभा (खगड़िया जिला) सीट से कांग्रेंस के टिकट पर चुनाव भी लड़ी थी। जिसमें वह विजय प्राप्त हुई थी। पूर्णिया सदर विधानसभा से भी विधानसभा चुनाव लड़ी थी। बनमनखी से जिला पार्षद की चुनाव भी लड़ी थी। स्वतंत्रता सेनानी के निधन के बाद अंचल पदाधिकारी बनमनखी अर्जुन कुमार विश्वास, सर्किल इंस्पेक्टर विद्यानंद यादव, मुखिया मिथिलेश दास, पूर्व मुखिया मनोज पासवान, पूर्व मुखिया संजय पासवान, जयचंद मंडल, राजेन्द्र मंडल, सुरेश मंडल, विमल मंडल, उपसरपंच ब्रिंची मल्लाह, शैलेन्द्र मंडल, राधे मंडल, नागेश्वर मंडल, दीपनारायण पासवान इत्यादि लोगों ने उनके घर जाकर उनके पार्थिव शरीर को नमन किया।