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जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान से जान के खतरा में कमी

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जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान से जान के खतरा में कमी

गर्भ में 9 महीने रहने के बाद शिशु का माता के साथ गहरा जुड़ाव कायम हो जाता है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद शिशु को प्राकृतिक रूप से स्तनपान का वरदान प्राप्त होता है। जन्म के शुरुआती 2 घंटों तक शिशु अधिक सक्रिय रहते हैं। इसलिए शुरुआती एक घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू कराने की सलाह दी जाती है। इससे शिशु सक्रिय रूप से स्तनपान करने में सक्षम होता है। साथ ही 6 माह तक केवल स्तनपान भी जरूरी होता है। इस दौरान स्तनपान के आलावा बाहर से कुछ भी नहीं देना चाहिए, ऊपर से पानी भी नहीं।

सिजेरियन प्रसव में भी एक घंटे के अंदर स्तनपान जन्म के शुरुआती 1 घंटे के भीतर शिशुओं के लिए स्तनपान अमृत समान होता है। यह अवधि दो मायनों में अधिक महत्वपूर्ण है। पहला यह कि शुरुआती 2 घंटे तक शिशु सर्वाधिक सक्रिय अवस्था में होता है। इस दौरान स्तनपान की शुरुआत कराने से शिशु आसानी से स्तनपान कर पाता है। सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव दोनों स्थितियों में 1 घंटे के भीतर ही स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। इससे शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इससे बच्चे का निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों में भी बचाव होता है।

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