उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ संपन्न.
मन्नतों के इस महापर्व के मौके पर शहर के सभी घाटों पर हजारों महिला-पुरुषों ने छठ घाटों पर पहुंच कर शनिवार शाम को डूबते सूरज को और रविवार की सुबह उगते सूरज को अर्घ्य दिया। सिटी काली मंदिर घाट हो या पक्की तालाब, छठ पोखर हो या दमका नहर घाट हर जगह लोगों की भीड़ लगी थी। खुश्कीबाग के विवेकानंद मिश्र ने बताया कि उनकी मां ने मन्नत मांगी थी उसी के पूरा होने के बाद वो किसी और को सूप देते हैं। सिपाही टोला कही कृष्णा इंजीनियर बनी तो नानी ने पांच तरह की मिठाई का चढावा चढया। मन्नत पूरा होने के बाद दिल्ली में रहने वाले सीमा भी अर्घ्य देने के लिए दिल्ली से पूर्णिया पहुंची। रविवार को सुबह तीन बजे ही लोग दौरा को सिर पर लेकर घाट की तरफ चल पड़े थे। लोगों को परेशानी नहीं हो इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
सिटी पुल से दिख रहा था रोशनी का विहंगम नजारा
सुबह पांच बजे सिटी पुल काली मंदिर के पास से बहने वाली सौरा नदी के दोनों किनारों पर अद्भुत लाइटिंग की गई थी। रोशनी का ऐसा नजारा बिरले ही दिखता है। घाटों को हर व्रतियों ने अपने तरीके से सजाया था। केला के थंब और दीया सबसे ज्यादा सजावट में इस्तेमाल हुआ था। जिला प्रशासन भी चौकस रही। शहर के घाटों पर 25 गोताखोरों को तैनात किया गया था। इसके अलावा 22 लाइफ जैकेट पर उपलब्ध कराया गया था। महत्वपूर्ण पांच घाटों पर पांच पांच लोगों की मेडिकल टीम भी मौजूद थी। इसके साथ ही पांच संवेदनशील घाटों पर पुलिस की टीम भी मौजूद रही।
अर्घ्य को देखने पहुंचे हजारों लोग :
शहर के घाटों सिर्फ व्रती और अर्घ्य देने वाले ही नहीं थे बल्कि इन नजारों को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी थी। रुब्बाना बेगम ने बताया कि वो हर साल सुबह का अर्घ्य देखने के लिए सिटी पुल पर आती हैं। लोक आस्था का ऐसा नजारा कहीं और नहीं दिखता है।
स्रोत-हिन्दुस्तान