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मखाना की खेती देख अभीभूत हुए प्रवासी भारतीय.

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मखाना की खेती देख अभीभूत हुए प्रवासी भारतीय.

बॉबी गोवर्धन और बलदेव सिंह ने कृषि कॉलेज में चल रहे कृषि प्रयोग खास कर मखाना की खेती को देखा। कनाडा मूल के दोनों प्रवासियों ने कृषि वैज्ञानिकों के साथ भारतीय और कनाडाई खेती की समानताओं पर चर्चा भी किया। कृषि कॉलेज मे दोनों प्रवासियों ने मां शारदे को नमन भी किया।

बॉबी गोवर्धन, बलदेव सिंह भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पहुंचे। इस मौके पर उनके साथ हिमकर मिश्रा भी मौजूद थे। कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने दोनों प्रवासियों को छात्रों द्वारा लगाए गए जीरो टिलेज खेती तथा मखाना उत्पादन के संबंध में गहनता से बताया। छात्र-छात्राओं को सुनने के बाद बॉबी ने कनाडा से खेती की तुलना कर बताया कि दोनों देशों में खेती की समानताएं क्या-क्या हैं और कैसे कृषि को और बेहतर बनाया जा सकता है। बॉबी ने कहा कि मखाना में काफी संभावना है। वो कनाडा जाकर हिमकर मिश्रा के नेचुरल खेती और मखाना की खेती के बारे में किसानो से बात करेंगे। उनके भाई किसान हैं। सबसे पहले अपने भाई को ही इसे अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने छात्रों को भरोसा दिलाया कि कैरियर बनाने में वो अपनी तरफ से हर संभव मदद करेंगे। भारत और भारतीयता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान का कोई जवाब नहीं है। यही कारण है कि 275 साल के बाद भी वे लोग हिन्दुस्तानी हैं। और हिन्दुस्तानी तौर तरीकों को ही अपनाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि कनाडा में भी हिंदुस्तान की गिनती सर्वश्रेष्ठ देशों में की जाती है। उन्होंने कहा कि मेरी बोली भले ही बदल गई हो लेकिन मेरा दिन अभी भी हिन्दुस्तानी है।

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