
रेज बेड प्लांटर से जिले में संभव है चने की खेती.
कृषि वैज्ञानिकों और किसानों ने कृषि कार्य में नए तकनीकों को अपना कर खेती के नए प्रतिमान गढ़े हैं। इसी का उदाहरण है जिले में छह एकड़ खेत में चने की फसल लहलहा रही है। रेज बेड प्लांटर विधि से खेती कर किसानों ने जिले की विपरीत परिस्थति में भी चने की खेती को मुमकिन बनाया है। इससे पहले यहां पर चने की खेती नहीं होती थी।
जिले के कृषि विभाग को रबी मौसम के लिए खेती का जो लक्ष्य दिया है उसमें चना की खेती को 500 हेक्टेयर में कराना था। जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद कहते हैं कि यहां पर चने की खेती संभव नहीं है। यहां की मिट्टी ऐसी नहीं है जिसमें चने की खेती हो सके। इसके विपरीत चने की खेती में नए तकनीक का समावेश कर किसान और कृषि वैज्ञानिक ने पूर्णिया में चने की खेती को संभव बना दिया। जिले में इस वक्त छह एकड़ जमीन पर चने की फसल लहलहा रही है। किसान कहते हैं कि ऐसी फसल पहले कभी नहीं देखी। बेलोरी के रहने वाले किसान राम कैलाश सिंह कहते हैं कि उन्होंने एक एकड़ में चने की खेती की है। ये पहला मौका है जब वो चने की खेती कर रहे हैं। इसके बारे में वो कहते हैं कि बीसा के वैज्ञानिकों ने जब रेज बेड प्लांटर से चने की खेती का सुझाव दिया तो लगा कि करके देखना चाहिए। अब तो पौधे में फूल आने लगे हैं। इससे पहले यहां पर चने की ऐसी फसल कभी नहीं देखी। बेलौरी के ही किसान सुदामा मंडल कहते हैं कि उन्होंने दो बीघा में चना लगाया है। इससे पहले कभी कभार खेत में चना का बीज छीट देते थे। कुछ बीज उगता था कुछ नहीं उगता था। पहली बार रेज बेड प्लांटर मशीन से चना लगाए हैं। पूरा बेड चना के पौधे से भरा हुआ है।
HINDUSTAAN