
मामला क्या है?
पूर्णिया जिले में कथित रूप से महादलित समुदाय के कई बच्चों की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है।
जानकारी के अनुसार, घटना को एक ट्रेन दुर्घटना (वंदे भारत एक्सप्रेस) के रूप में पेश किया गया, लेकिन परिजनों का आरोप है कि यह पूर्व नियोजित नरसंहार था।
सूत्रों के मुताबिक, इस घटना में शामिल एक ठेकेदार पर गंभीर संदेह जताया गया है।
IG को दी गई जानकारी
सूत्रों का कहना है कि घटना की सूचना पूर्णिया रेंज के IG को पहले ही दी गई थी।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर प्रशासन से निष्पक्ष जांच और अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की है।
हालांकि अब तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
जीवित बचे किशोर की दर्दनाक दास्तान
घटना में एक किशोर चमत्कारिक रूप से जीवित बच गया है।
उसने मीडिया से बात करते हुए बताया कि
“हमें काम के बहाने बाहर ले जाया गया था। वहाँ हमारे साथ मारपीट हुई… और फिर हमें पटरी के पास फेंक दिया गया। जब आंख खुली तो बाकी सब मर चुके थे।”
उसकी यह गवाही पूरे मामले को हत्या या साजिश की दिशा में ले जाती है।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी आरोप लगाया है कि बच्चों को ठेकेदार द्वारा बंधुआ मजदूरी में लगाया गया था, और विरोध करने पर उन्हें मार दिया गया।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका
इस घटना पर अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई है।
हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि
“घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है और सभी बिंदुओं पर जांच जारी है। यदि हत्या या साजिश का प्रमाण मिला तो कड़ी कार्रवाई होगी।”
इस बीच, सामाजिक न्याय संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी जांच की मांग की है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद पूर्णिया, किशनगंज और अररिया जिलों में सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
महादलित समुदाय से आने वाले प्रतिनिधियों ने कहा कि
“यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी जाति के बच्चों पर सुनियोजित हमला है।”
राजनीतिक दलों ने भी सरकार से तेज़ कार्रवाई और पारदर्शी जांच की मांग की है।
जनभावनाओं में उबाल
स्थानीय ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।
लोगों ने कहा कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे जमीन पर आंदोलन शुरू करेंगे।
एक महिला ने कहा, “हमारे बच्चों को मजदूरी के नाम पर ले जाया गया और अब वो नहीं लौटे। हम न्याय चाहते हैं।”
घटना को ‘वंदे भारत दुर्घटना’ दिखाने का आरोप
परिजनों का आरोप है कि बच्चों की मौत के बाद घटना को ट्रेन दुर्घटना का रूप दिया गया, ताकि असली अपराध छिपाया जा सके।
घटना स्थल से मिले शरीर के निशान और गवाही यह संकेत देते हैं कि बच्चों को पहले से मारा गया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि मौत का कारण क्या था।
मानवाधिकार संगठनों की माँग
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और दलित अधिकार मंच ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि
“यदि यह घटना सच है, तो यह बिहार के इतिहास की सबसे बड़ी सामाजिक त्रासदियों में से एक होगी।”
प्रशासन से सवाल
लोगों के मन में अब कई सवाल उठ रहे हैं:
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क्या प्रशासन को पहले से चेतावनी दी गई थी?
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ठेकेदार का बैकग्राउंड क्या है और उसके खिलाफ कोई मामला पहले दर्ज है?
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जीवित बचे किशोर की सुरक्षा सुनिश्चित क्यों नहीं की गई?
कब जागेगी सरकार?
स्थानीय सामाजिक नेता ने कहा,
“सरकार और पुलिस अब भी खामोश हैं। क्या दलित बच्चों की जान इतनी सस्ती है कि उन्हें यूँ ही मार दिया जाए?”
उन्होंने कहा कि जब तक मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।
वर्तमान स्थिति
फिलहाल, घटना की जांच पूर्णिया पुलिस और जिला प्रशासन के संयुक्त दल द्वारा की जा रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है, और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद अगला कदम तय किया जाएगा।
महत्वपूर्ण सूचना
यदि किसी के पास इस घटना से संबंधित कोई साक्ष्य या जानकारी है, तो वे पूर्णिया जिला कंट्रोल रूम (06244-222100) या बिहार आपदा हेल्पलाइन (1070) पर संपर्क कर सकते हैं।
🔗 External Source Reference:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग – आधिकारिक वेबसाइट
https://x.com/pappuyadavjapl/status/1974879398210699322
https://x.com/pappuyadavjapl/status/1974447202622697774
Note (Legal Disclaimer):
यह रिपोर्ट प्राथमिक स्रोतों, स्थानीय गवाहों और सामाजिक संगठनों द्वारा दी गई सूचनाओं पर आधारित है।
प्रशासन की आधिकारिक पुष्टि प्राप्त होने तक इसे अंतरिम रिपोर्ट (Preliminary Report) माना जाना चाहिए।