शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है सर्वोदय आश्रम में पड़ी जीप
रानीपतरा स्थित सर्वोदय आश्रम में वर्षों से पड़ी जीप शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है।इन जीप के साथ कई लोगों के यादे जुड़ी हुई है।वर्ष 1961 ई में स्व बैधनाथ प्रसाद चौधरी के अध्यक्षता में सर्वोदय आश्रम के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिये यह पेट्रोल जीप खरीदी गई थी।इस जीप के माध्यम से आश्रम के सभी पदाधिकारी क्षेत्र भ्रमण करते थे, एवं इलाके के जरूरत मंद रोगियों को अस्पताल ले जाया जाता था।उस समय पूर्णिया पूर्व प्रखण्ड क्षेत्र में यह पहला जीप था।इस जीप से पदाधिकारी जब गांव घूमने जाते थे तो गांव के लोगों में जीप को देखने को लेकर हुजूम लग जाती थी।1975 ई में इमरजेंसी के दौरान बैधनाथ चौधरी जेल चले गये और काफी बीमार पड़ गये।जिसकारण उन्हें रिहा कर दिया।जीवन के अंतिम घड़ी में काशी प्रवास कर गये।वहीं 14 अगस्त 1975 में उनकी देहावसान हो गया।चुकी भारत के बहुत सारी संस्थाओं का कुदाल आयोग द्वारा जांच चल रही थी ,और सर्वोदय आश्रम रानीपतरा खादी ग्रामोद्योग भारत सरकार के सीधे नियंत्रण में चले गया।आयोग ने अपना प्रशासक बिठा दिया।जीप का उपयोग प्रशासक ही करने लगे।प्रसाशक के हाथ मे जीप के जाने के बाद इलाके के रोगियों को मदद मिलनी बन्द हो गयी।जीप का रख रखाव ठीक ढंग से नही होने कारण यह खराब हो गयी।1978 ई के आश्रम चुनाव में पूर्व राज्यमंत्री एवं सर्वोदय आश्रम के संस्थापक सदस्य कमलदेव नरायण सिंह को संस्था का अध्यक्ष बनाया गया।उस समय कमलदेव बाबू ने जेनरल विभाग के पैसे से जीप का मरम्मत करवाये।पुनः जीप का उपयोग सर्वोदय आश्रम के कार्यों में होने लगा।लेकिन1984 ई में उन्होंने अपने पद से त्याग दे दिया।अगस्त 1984 के आश्रम चुनाव में संस्थापक सदस्य गुलाबचंद्र साह को सर्वोदय आश्रम का अध्यक्ष बनाया गया तथा उनके सहयोग के लिये बाबूलाल साह, बैधनाथ मेहता,बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह को मंत्री बनाया गया।जीप में खराबी ज्यादा आने के कारण जीप पड़ी रहने लगी।जीप को शिक्षण प्रशिक्षण मंत्री बैधनाथ मेहता जी के देख रेख में दे दिया गया।जीप को पुनः मरम्मत करवा कर आश्रम के कार्यो में लाया जाने लगा साथ हीं जरूरत मंद लोगों को सिर्फ तेल खर्च पर जीप की सुविधा दी जाने लगी।लेकिन 1988 ई के बाद जीप ज्यादा ही खराब हो गयी जो अब तक खराब पड़ी है।जिसे अब ठीक करना असंभव है।जो आश्रम में स्थित स्व बैधनाथ चौधरी के प्रतिमा के समीप रखी शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है।जो कि आश्रम के अच्छे दिन के आज भी गवाह है।जिससे कई लोगो की यादें जुड़ी हुई है।